Manu Bhakar Sarabjot Singh Olympic Medal in 10 meter Air Pistol: मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में कमाल कर दिया है। इस युवा भारतीय ने तीन दिन के भीतर 2 कांस्य पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया है। पहला पदक उन्होंने महिला सिंगल्स इवेंट में जीता जबकि दूसरा कांस्य सरबजोत सिंह के साथ मिलकर मिक्स्ड डबल्स वर्ग में जीता। इस दौरान एक चीज जो कॉमन रही, वो यह है कि दोनों ही पदक 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में आए। मतलब भारत के लिए इस पिस्टल ने कमाल कर दिया।
चलिए हम आपको आज इस पिस्टल के बारे में बताते हैं। यह पिस्टल पहली बार ओलंपिक में कब आई? इसमें कितने एमएम की गोली लगती है? इसको फायर करने के क्या नियम हैं? इस जैसे तमाम सवालों के जवाब हम आपके लिए ला रहे हैं। चलिए जानते हैं उस पिस्टल के बारे में, जिसने भारत की झोली में 2 पदक डाल दिए हैं।
कब शुरू हुआ एयर पिस्टल इवेंट
एयर पिस्टल इवेंट को पहली बार 1970 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार लॉन्च किया गया था। इसके बाद इस इवेंट को 1988 के ओलंपिक प्रोग्राम में शामिल किया गया। 1985 से पहले तक इस इवेंट में फाइनल्स नहीं होते थे और विजेता का फैसला 40 या 60 शॉट्स के आधार पर होता था। महिलाओं के लिए यह 40 शॉट था तो पुरुषों के लिए 60 शॉट्स। 1988 में सियोल ओलंपिक में सर्बिया की जासना सेकारिक ने 10 मीटर एयर पिस्टल के महिला वर्ग में पहला गोल्ड मेडल जीता था। वहीं पुरुषों में बुल्गारिया के नात्यु किर्याकोव ने स्वर्ण जीता था।
Both Sarabjot Singh and @realmanubhaker have been an integral part of the #KheloIndia program. The duo teamed up to clinch the #Bronze🥉 medal in the 10 m Air Pistol Mixed Team category at the #Paris2024Olympics
---विज्ञापन---Many congratulations to both shooters!🎊 pic.twitter.com/AQaTisTrn8
— Khelo India (@kheloindia) July 30, 2024
4.5 एमएम के कैलिबर वाली गैस से ऑपरेट
इस एयर पिस्टल में 4.5 एमएम के कैलिबर वाली गैस से चलती है। इसके ट्रिगर पुल का वजन करीब आधा किलो होता है। अगर किसी स्पोर्ट पिस्टल से तुलना करें तो यह वजन आधा ही होता है। इस पिस्टल का वजन 1.5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। शूटर के लिए नियम है कि वह इसे एक ही हाथ से चलाएगा और वो भी खड़े होकर। इस पिस्टल में एक बार में सिर्फ एक ही छर्रा लगता है।
कैसा होता है छर्रा
10 मीटर एयर पिस्टल मैच के लिए जिस छर्रे का इस्तेमाल होता है, उसके सामने का हिस्सा लगभग सपाट होता है। ऐसा इसलिए होता है ताकि वह निशाने को आसानी से भेद सके। सभी शूटर्स के लिए यह जरूरी है कि वह इवेंट के शुरू होने से पहले अपनी पिस्टल, उपकरणों और जूतों को चेक कराए। ऐसा इसलिए है ताकि शूटर्स अपने ट्रिगर पुल का वजन कम न कर दे। इसकी स्पीड की बात करें तो कई शूटर्स पिस्टल से 240 से 270 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड भी निकाल देते हैं, जो कि करीब 950 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा है।
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