Science News: तकनीकी विकास के साथ भविष्य के युद्धों को स्वरूप भी बदल रहा है। हथियार जिन्हें कभी विज्ञान कथा माना जाता था, अब एक वास्तविकता बन रहे हैं। मानव रहित ड्रोन से लेकर निर्देशित ऊर्जा हथियारों का जंग में प्रायोगिक इस्तेमाल होने लगा है। इस लेख में हम भविष्य के हथियारों और उनके प्रभावों पर एक नज़र डालेंगे।
मानव रहित लड़ाकू विमान (UCAV)
मानव रहित लड़ाकू विमान (Unmanned Combat Air vehicle) या यूसीएवी, जिन्हें आधुनिक ड्रोन भी कहा जाता है। ये विमान पायलट के बिना उड़ान भरने में सक्षम होते हैं। इन्हें दूर से नियंत्रित या स्वचालित रूप से उड़ान भरने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। यूसीएवी का उपयोग निगरानी, टोही और यहां तक कि एक हथियार के रूप में भी किया जा सकता है। वे पहले से ही सेना द्वारा उन क्षेत्रों में लक्ष्यों को मारने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं जो मानव पायलटों के लिए बहुत खतरनाक हैं।
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रेलगन (Rail Gun)
रेलगन में उच्च गति पर प्रोजेक्टाइल को फेकने के लिए विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा ( Electromagnetic Energy) का उपयोग किया जाता है। रेलगन अभी विकास के चरण में है, लेकिन अमेरिकी नौसेना पहले से ही एक प्रोटोटाइप का परीक्षण कर रही है। इसमें ध्वनि की गति से प्रक्षेप्य को दागने की क्षमता होती है। इसकी गति इसे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि अंतरिक्ष यान जैसे तेज गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ एक प्रभावी हथियार बनाता है। रेलगन विस्फोटकों पर निर्भर नहीं करता है, इसलिए पारंपरिक हथियारों की तुलना में इसे स्टोर करना आसान और सुरक्षित होता है।
जहाजों पर इसे स्थापित करने के उद्देश्य से अमेरिकी नौसेना रेलगन विकसित कर रही है। नौसेना का रेलगन प्रोटोटाइप 7,242 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से प्रक्षेप्य को दागने में सक्षम है, जो ध्वनि की गति से लगभग छह गुना है। रेलगन भविष्य में पारंपरिक मिसाइलों के लिए विकल्प प्रदान करेगी।
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निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW)
निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapon) या डीईडब्ल्यू, लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए केंद्रित ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इसमें लेज़र और माइक्रोवेव हथियार शामिल हैं, जो ड्रोन और मिसाइलों के खिलाफ प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किए जा सकते हैं। डीईडब्ल्यू अभी विकास के चरण में हैं, हालांकि अमेरिकी सेना अपने जहाजों पर प्रायोगिक तौर पर लेजर हथियार प्रणाली तैनात कर चुका है। भारत के सेना पास ‘काली’ नाम का लेसर वेपन बताया जाता है। भारत के वैज्ञानिक इस तकनीकी के एडवांस वर्जन पर काम कर रहे हैं।
हाइपरसोनिक हथियार (Hypersonic Weapon)
हाइपरसोनिक हथियार ऐसी मिसाइलें हैं जो 5 मैक से अधिक की गति से यात्रा कर सकती हैं। इन हथियारों को रोकना बेहद मुश्किल होता है, जो उन्हें आधुनिक युद्ध में एक संभावित गेम चेंजर बनाता है। भारत, रूस, अमेरिका और चीन हाइपरसोनिक हथियारों के विकास पर काम कर रहे हैं।
ऑटोनॉमस वेपन (Autonomous weapon)
ऑटोनॉमस वे हथियार हैं जो मानवीय सहयोग के बिना काम कर सकते हैं। इन हथियारों के विकास पर काम किया जा रहा है। ये हथियार युद्धों की तस्वीर बदल के रख देंगे। इन हथियारों उपयोग निगरानी, टोही और यहां तक कि युद्ध जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है।
रोबोटिक सोल्जर (Robotic Soldier)
भविष्य के युद्ध इंसान द्धारा नहीं, बल्कि रोबोटिक सैनिकों द्धारा लड़े जाएंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, चीन, रसिया आदि देश रोबोटिक सोल्जरों के विकास पर काम कर रहे हैं। रोबोटिक सोल्जर को खतरनाक वातावरण में भी संचालित किया जा सकता है। परमाणु आपदा या रासायिक युद्ध के दौरान रोबोटिक सैनिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जहां मानव सैनिकों को चोट या जान का खतरा हो वहां रोबोटिक सैनिकों का प्रयोग किया जा सकता है। मानव सैनिकों की तुलना में रोबोटिक सैनिक अधिक कुशल, सटीक और कम त्रुटि वाले हो सकते हैं।
– डॉ. आशीष कुमार