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अत्यधिक जल दोहन से धरती की धुरी खिसकी, भारत पर भी होगा असर

Science News: डॉ. आशीष कुमार। भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण धरती की धुरी खिसक गई है। इस बात का खुलासा ‘एडवांसिंग अर्थ एंड स्पेस साइंस’ संस्था के द्वारा ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ में प्रकाशित अध्ययन में किया गया है। शोध पत्र में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि धरती के गर्भ से अंधाधुंध जल […]

Author Edited By : Sunil Sharma Updated: Jun 22, 2023 12:06
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Science News: डॉ. आशीष कुमार। भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण धरती की धुरी खिसक गई है। इस बात का खुलासा ‘एडवांसिंग अर्थ एंड स्पेस साइंस’ संस्था के द्वारा ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ में प्रकाशित अध्ययन में किया गया है। शोध पत्र में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि धरती के गर्भ से अंधाधुंध जल निकालने के कारण पृथ्वी के अक्ष में 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुकाव आ गया है। साथ ही, भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण समुद्र के जल स्तर में भी वृद्धि हो रही है। भूगर्भ जल की निकासी से धरती की धुरी में 4.36 सेमी प्रतिवर्ष के हिसाब से बदलाव आ रहा है।

भूजल दोहन के होंगे खतरनाक दुष्प्रभाव (Science News)

अभी तक यह माना जाता रहा था कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण धुव्रीय वर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो रही है। लेकिन नए अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया में कृषि भूमि की सिंचाई, उद्योगों के संचालन और घरेलू उपयोग के लिए बड़ी मात्रा में भूजल का दोहन किया जा रहा है। भूजल के दोहन में तेजी बीसवीं सदी के मध्य से प्रारंभ हुई और इक्कीसवीं सदी में जल दोहन खतरे के स्तर तक पहुंच गया है।

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जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित शोध अध्ययन को 17 साल के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया। शोध के लिए वर्ष 1993 से लेकर 2010 के बीच के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। आंकड़ों से पता चला है कि इस बीच पृथ्वी की धुरी 80 सेंटमीटर पूर्व की ओर झुक गई है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के आधार पर पता लगाया है कि मनुष्य ने इस दौरान करीब 2150 गीगा टन भूजल का दोहन किया है, जो समुद्र स्तर में 6 मिली की वृद्धि के बराबर है।

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भारत पर प्रभाव

अध्ययन में दावा किया गया है कि भूजल दोहन का प्रभाव भारत पर भी है। अध्ययन अवधि के दौरान पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर पश्चिमी भारत में सबसे अधिक भूजल का दोहन देखा गया है। उत्तरी पश्चिमी भारत में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि प्रदेश आते हैं।

अत्यधिक भूजल दोहन के प्रभाव

  • पृथ्वी की धुरी में झुकाव आने से जल वितरण प्रभावित हो सकता है।
  • समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो सकती है, जिसके कारण समुद्री तटीय निवास करने वाले लोग प्रभावित हो सकते हैं।
  • धुरी में बदलाव से पृथ्वी के जलवायु पर भी पड़ेगा।
  • पेयजल की उपलब्धता का गंभीर संकट पैदा हो सकता है।

(लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

First published on: Jun 22, 2023 12:05 PM

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