निधिवन में स्वामी हरिदास जी को बांके बिहारी के दर्शन
कहते हैं, लगभग 500 सौ साल पहले महान कृष्ण भक्त स्वामी हरिदास जी की भक्ति, सेवा और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान बांके बिहारी ने उनको निधिवन में दर्शन दिया था। स्वामी हरिदास ने वहां ठाकुर जी (बांके बिहारी) की स्थापना कर उनकी आराधना और भी लीन हो गए। वे रोज भगवान बांके बिहारी को उनके प्रिय भोजन का भोग अपनी हाथों से लगाते थे। एक समय ऐसा आया जब मंदिर की रसोई की व्यवस्था और भगवान को उनका प्रिय भोग लगाने के लिए घोर आर्थिक संकट पैदा हो गया। उन्होंने इसके समाधान के लिए कई लोगों से सहायता मांगी लेकिन किसी से कोई सहायता नहीं मिली।ठाकुर जी के चरणों से मिलती थी स्वर्ण मुद्रा
हर जगह से थक हारकर स्वामी हरिदास ठाकुर जी ने ठाकुर जी के चरणों में अपना सिर झुका दिया। ठाकुर जी कृपा से उनको भगवान के चरणों में सोने का सिक्का प्राप्त हुआ, जिससे उन्होंने रसोई की व्यवस्था की। इस घटना के बाद जब भी धन संकट होता था, स्वामी हरिदास ठाकुर जी को ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी। कहते हैं, यह घटना अक्षय तृतीया के दिन हुई थी। तब से अक्षय तृतीया बांके बिहारी जी के भक्तों के लिए खास बन गया। ये भी पढ़ें: Vastu Tips: नए घर में ‘गृह प्रवेश’ करने से पहले जरूर पढ़ें ये 5 वास्तु टिप्सअक्षय तृतीया के दिन ठाकुर जी के चरण के विशेष दर्शन
पूरे साल भगवान बांके बिहारी के चरण पोशाक में ढंके रहते हैं। लेकिन अक्षय तृतीया के दिन उनके चरण के विशेष दर्शन करवाए जाते हैं, ताकि जिस तरह से स्वामी हरिदास जी पर ठाकुर जी की कृपा हुई थे, वैसे ही उनकी कृपा उनके भक्तों पर हो और उनके जीवन से धन संकट समाप्त हो जाए और वे सुखी जीवन जिएं। ये भी पढ़ें: हनुमान चालीसा के 5 शक्तिशाली दोहे और चौपाइयां, जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत
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