Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है. दिवाली के अवसर पर गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है चलिए आपको बताते हैं. दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली, तीसरे दिन बड़ी दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भाई दूज मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत, गिरिराज की महाराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. आज 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि, दिवाली पर गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?
दिवाली पर क्यों होती है गोवर्धन पूजा?
गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ा है. ऐसी मान्यता है कि, प्राचीन काल में दिवावी के अगले दिन भारत में और खासकर ब्रज मण्डल में इंद्र की पूजा हुआ करती थी. एक बार भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की पूजा को मना किया और कहा कि, “इंद्र की पूजा का कोई लाभ नहीं इसलिए हमें गऊ के वंश की उन्नति के लिए पर्वतों और वृक्षों की पूजा करनी चाहिए” इसके बाद गोकुल के लोगों ने पर्वत वन और गोबर की पूजा आरम्भ की.
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इस बात से इंद्र ने क्रोधित होकर भारी वर्षा की और लोग परेशान हो गए. इसके बाद श्रीकृष्ण ने अफनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों और गायों की रक्षा की थी. इससे इंद्र का घमंड टूट गया और अपनी गलती को स्वीकार कर वर्षा बंद कर दी. जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था तब कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि थी. तभी से इस तिथि को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है जो दिवाली के बाद आती है.
कैसे करें गोवर्धन पूजा?
गोवर्धन पूजा के लिए घर के आंगन या मुख्य द्वार पर गोबर से लीपकर गोवर्धन भगवान की प्रतिमा बनाएं. इसके साथ ही गाय और बैल आदि की प्रतिमा बनाएं. रोली, खीर, बताशे, चावल, जल, पान, केसर, दूध, फूल और दीपक आदि सामग्री पूजा में शामिल करें और गोवर्धन पूजा करें. इसके बाद गोवर्धन भगवान की परिक्रमा करें. गोवर्धन महाराज और भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और अन्नकूट का भोग लगाए.
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