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बाईं नाक में ही क्यों पहनी जाती है नथ, जानिए क्या है इसके पीछे का कारण?

भारतीय संस्कृति में बाईं नाक में नथ पहनने का मुख्य उद्देश्य केवल सुंदरता को बढ़ाना ही नहीं था। इसके पीछे कई शास्त्रीय और वैज्ञानिक कारण भी हैं। इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। आइए जानते हैं कि बाईं ओर नथ क्यों पहनी जाती है और इसे पहनने के क्या लाभ हैं?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Jul 2, 2025 21:59
Nath in Left Nostril
नाक में बाईं ओर क्यों पहनी जाती है नथ? Credit- pexels

भारतीय संस्कृति में नथ (नाक की ज्वेलरी) केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे शास्त्रीय, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं। लड़कियों द्वारा बाईं नाक में नथ पहनने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जो सांस्कृतिक, धार्मिक, और स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी हुई है। यह प्रथा न केवल परंपरा है बल्कि आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद भी इसका सपोर्ट करता है।

दरअसल हिंदू शास्त्रों और योग दर्शन में बाईं नाक में नथ पहनने का विशेष महत्व है, जो शरीर के एनर्जी सिस्टम और स्प्रिचुअल बैलेंस से जुड़ा है। बाईं नाक चंद्र नाड़ी (इड़ा नाड़ी) से संबंधित होती है, जो शरीर की बाईं ओर ऊर्जा का संचालन करती है और मन को शांति, ठंडक और भावनात्मक स्थिरता प्रदान करती है। यह नाड़ी स्त्री ऊर्जा से भी जुड़ी होती है, जो महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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वहीं, तंत्र शास्त्र में बाईं नाक को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है, जो स्त्रीत्व, मातृत्व और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है। बाईं नाक में नथ पहनने से यह ऊर्जा संतुलित रहती है, जिससे आध्यात्मिक और मानसिक विकास को बढ़ावा मिलता है। विवाहित महिलाओं के लिए, बाईं नाक में नथ सुहाग का प्रतीक है, जिसे पति की लंबी आयु और पारिवारिक सौभाग्य से जोड़ा जाता है। विभिन्न भारतीय समुदायों, जैसे राजस्थानी, गुजराती और उत्तर भारतीय संस्कृतियों में, यह परंपरा सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, जो महिलाओं की शालीनता और गरिमा को दर्शाती है।

क्या है वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण?

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान में बाईं नाक में नथ पहनने से मिलने वाले कई स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, बाईं नाक का छेदन चंद्र नाड़ी को उत्तेजित करता है, जो मस्तिष्क के बाएं हिस्से से जुड़ी है। यह हिस्सा भावनाओं, रचनात्मकता, और इंट्यूशन को कंट्रोल करता है। नथ पहनने से इस पर हल्का दबाव पड़ता है, जो एक्यूपंक्चर के सिद्धांत की तरह काम करता है, जिससे तनाव कम होता है और मानसिक संतुलन बना रहता है।

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इसके अलावा, बाईं नाक की नसें गर्भाशय और प्रजनन अंगों से भी जुड़ी होती हैं। नथ पहनने से इन अंगों में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे मासिक धर्म के दर्द में राहत मिलती है और प्रसव प्रक्रिया आसान हो सकती है।

योग और प्राणायाम में भी बाईं नाक से सांस लेना शरीर को ठंडक और शांति प्रदान करने वाला बताया गया है। नथ पहनने से यह प्रक्रिया संतुलित रहती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बाईं नाक में छेदन नर्व सिस्टम को उत्तेजित करता है, जो प्रसव के दौरान दर्द सहन करने की क्षमता को बढ़ाता है। यह प्रक्रिया रेसिपेटरी सिस्टम को भी संतुलित रखती है, जिससे चिंता और तनाव में कमी आती है। इन सभी कारणों के चलते बाईं नाक में नथ पहनना महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।

क्या है चंद्र और सूर्य नाड़ी?

बाईं नाक में नथ पहनने का प्रचलन दाईं नाक के बजाय इसलिए है, क्योंकि यह चंद्र नाड़ी से जुड़ी है, जो स्त्री ऊर्जा और स्वास्थ्य के लिए अधिक उपयुक्त है। इसके विपरीत, दाईं नाक सूर्य नाड़ी (पिंगला नाड़ी) से जुड़ी होती है, जो गर्मी, ऊर्जा और पुरुषत्व का प्रतीक है। पुरुषों में दाईं नाक का छेदन अधिक प्रचलित है क्योंकि यह उनकी शारीरिक और मानसिक प्रकृति के साथ मेल खाता है। बाईं नाक में नथ पहनने से महिलाओं की ऊर्जा संतुलित रहती है, जो उनके स्वास्थ्य, सौंदर्य, और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देती है। यह प्रथा न केवल शारीरिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि महिलाओं को उनकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से जोड़े रखती है।

आजकल दोनों नाकों में नथ पहनने लगी हैं महिलाएं

आज के समय में, नथ पहनने की परंपरा को आधुनिकता के साथ भी अपनाया जा रहा है। कुछ महिलाएं फैशन के तौर पर दोनों नाक में नथ पहनती हैं, लेकिन शास्त्रों और आयुर्वेद के अनुसार बाईं नाक का विशेष महत्व माना जाता है। सोना, चांदी, या अन्य शुद्ध धातुओं से बनी नथ चुनें, क्योंकि ये त्वचा के लिए सुरक्षित होती हैं। चांदी की नथ को सबसे बेस्ट माना जाता है। चांदी चंद्रमा से जुड़ी होती है और चंद्र नाड़ी के लिए बेस्ट होती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष और आयुर्वेदिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 02, 2025 09:58 PM

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