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सनातन धर्म में कितने प्रकार के होते हैं विवाह, हर एक का है अलग महत्व

Hindu Marriage: सनातन धर्म में विवाह को बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके कई प्रकार होते हैं? प्राचीन ग्रंथों में आठ अलग-अलग विवाहों का जिक्र है। इनमें से कुछ समाज में मान्य हैं और कुछ बेहद अनोखे! कौन से विवाह को सबसे खास माना गया है? आइए जानते हैं...

Edited By : Ashutosh Ojha | Updated: Oct 12, 2024 18:19
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Hindu Marriage: सनातन धर्म में विवाह को बहुत ही खास और पवित्र माना जाता है। यह सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी मिलन होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, विवाह के कई प्रकार होते हैं जिनके अपने-अपने नियम और महत्व हैं? प्राचीन ग्रंथों में ऐसे आठ प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है, जिनमें से कुछ सामान्य होते हैं और कुछ बिल्कुल अनोखे! आइए बताते हैं कि इनमें से कौन सा विवाह सबसे पवित्र माना जाता है?

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ब्रह्म विवाह

यह विवाह का सबसे सर्वश्रेष्ठ रूप माना जाता है। इसमें पिता खुद अच्छे वर की तलाश कर अपनी बेटी का विवाह कराते हैं। इसमें वर और वधू की सहमति जरूरी नहीं होती लेकिन माता-पिता का निर्णय महत्वपूर्ण होता है।

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देव विवाह

इस प्रकार के विवाह में लड़की को सेवा या किसी विशेष उद्देश्य के लिए वर को सौंप दिया जाता है। इसे धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित विवाह माना जाता है।

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आर्श विवाह

इस विवाह में दहेज देकर शादी की जाती है। इसमें वधू के परिवार द्वारा वर को धन या उपहार दिए जाते हैं, जिसे आर्श विवाह कहा जाता है। यह प्राचीन समय में एक प्रकार का प्रचलित विवाह था।

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प्रजापत्य विवाह

यह विवाह ब्रह्म विवाह जैसा ही होता है, फर्क सिर्फ इतना होता है कि इसमें लड़की की सहमति की आवश्यकता नहीं होती। माता-पिता अपने निर्णय के अनुसार शादी तय कर देते हैं।

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असुर विवाह

इस विवाह में लड़की को उसके पिता से मूल्य देकर खरीदा जाता था। इसे असुर विवाह कहा जाता है क्योंकि इसमें पैसे का लेन-देन होता था, जो इसे निचले स्तर का विवाह बनाता है।

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गंधर्व विवाह

इस प्रकार के विवाह में वर और वधू बिना अपने माता-पिता की अनुमति के आपस में विवाह कर लेते हैं। इसे प्रेम विवाह भी कहा जा सकता है, जिसमें दोनों की सहमति से शादी होती है।

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राक्षस विवाह

इस विवाह को निचले दर्जे का माना जाता है। इसमें लड़की की सहमति के बिना उसका अपहरण करके जबरदस्ती विवाह किया जाता है। इसे राक्षसी प्रवृत्ति का विवाह कहा जाता है।

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पैशाच विवाह

यह सबसे निकृष्ट विवाह माना जाता है। इसमें लड़की को धोखे से या उसकी बेहोशी की हालत में शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं और बाद में शादी की जाती है। यह अमानवीय और अन्यायपूर्ण विवाह होता है।

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Written By

Ashutosh Ojha

First published on: Oct 12, 2024 06:19 PM

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