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Ram Lakshman Dwadashi 2025: आज है राम लक्ष्मण द्वादशी, जानिए राजा दशरथ का वो व्रत जिससे भगवान धरती पर आए

Ram Lakshman Dwadashi 2025: राम लक्ष्मण द्वादशी ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी को मनाया जाने वाला एक पावन पर्व है, जो भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और श्रीकृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि राजा दशरथ ने इसी व्रत के प्रभाव से पुत्र रूप में भगवान को प्राप्त किया था। आइए जानते हैं, इस व्रत का महत्व और इसकी पौराणिक प्रसंग।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 7, 2025 07:47
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Ram Lakshman Dwadashi 2025: पंचांग के अनुसार, आज राम लक्ष्मण द्वादशी व्रत है, जो एक अत्यंत पुण्यदायक और श्रद्धा से जुड़ा पावन दिन है। यह पर्व भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया है। इस दिन का संबंध भगवान विष्णु और शेषनाग जी के धरती पर राम और लक्ष्मण से जुड़ा होने के कारण के राम लक्ष्मण द्वादशी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस विशेष दिन की महत्व और मान्यताएं।

क्या है राम लक्ष्मण द्वादशी?

राम लक्ष्मण द्वादशी हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी को यानी निर्जला एकादशी के अगले दिन मनाई जाती है और इसे भी उतना ही पुण्यदायक माना जाता है। । यह दिन भगवान विष्णु के तीन स्वरूपों श्रीराम, लक्ष्मण (शेषनाग) और श्रीकृष्ण की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।

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राजा दशरथ ने किया था यह व्रत

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत पूरी श्रद्धा से किया था। कहते हैं, व्रत और पूजा के प्रभाव से भगवान विष्णु ने श्रीराम और लक्ष्मण के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया। कहते हैं, यदि दशरथ जी ने यह व्रत न रखा होता तो उनका पुत्रकामेष्टि यज्ञ पूर्ण नहीं हो पाता। इसलिए तभी से भक्त इस व्रत को भक्त आस्था और श्रद्धा से करते आ रहे हैं।

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चंपक द्वादशी भी कहते हैं इसे

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को ‘चंपक द्वादशी’ भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार खासतौर पर चंपा के फूलों से किया जाता है, क्योंकि ये फूल उन्हें अत्यंत प्रिय माने गए हैं। मान्यता है कि इस दिन चंपा के फूल अर्पित करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि चंपा न मिलें तो सफेद रंग के किसी भी फूल से पूजा की जा सकती है।

मनोकामनाओं की पूर्ति का दिन

ऐसा विश्वास है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से पुत्र-पौत्र, धन-धान्य सहित सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। जो भक्त पुत्र प्राप्ति, जीवन में सुख और आध्यात्मिक उन्नति की कामना रखते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 07, 2025 07:47 AM

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