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Raksha Bandhan: 2025 में कब है रक्षा बंधन? जानें तिथि और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2025: हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का त्योहार रक्षा बंधन मनाया जाता है। चलिए जानते हैं 2025 में कब रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाएगा। साथ ही आपको राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, प्रदोष काल और भद्रा काल की सही अवधि के बारे में पता चलेगा।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jun 12, 2025 09:58
Raksha Bandhan 2025
सांकेतिक फोटो, Credit- News24 Graphics

Raksha Bandhan 2025: देशभर में हर साल रक्षा बंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस पावन दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा करने का वादा देता है। अंत में भाई-बहन एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। चलिए जानते हैं वर्ष 2025 में किस दिन भाई-बहन को समर्पित रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाएगा।

रक्षा बंधन 2025 में कब है?

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस साल सावन मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि का आरंभ 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार 9 अगस्त 2025 को रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाएगा।

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रक्षा बंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

रक्षा बंधन के दिन अपराह्न काल (दोपहर) में भाई की कलाई पर राखी बांधना बेहद शुभ होता है। इस बार 9 अगस्त 2025 को प्रात: काल 05 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है, जिसे अपराह्न काल भी कह सकते हैं।

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रक्षा बंधन पर प्रदोष काल का सही समय

यदि किसी कारणवश अपराह्न काल में बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएं तो प्रदोष काल के दौरान भी ये त्योहार मना सकते हैं। 9 अगस्त 2025 को शाम 07 बजकर 19 मिनट से लेकर देर रात 09 बजकर 24 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा।

क्या रक्षा बंधन पर भद्रा का अशुभ साया पड़ रहा है?

बता दें कि साल 2025 में रक्षा बंधन पर भद्रा का अशुभ साया नहीं पड़ रहा है। 9 अगस्त 2025 को प्रात: काल 1 बजकर 52 मिनट पर भद्रा काल समाप्त हो जाएगा, जिसके कारण इसका अशुभ साया रक्षा बंधन वाले दिन नहीं पड़ेगा। दरअसल, भद्रा काल को अशुभ माना जाता है, जिस दौरान राखी बांधना अच्छा नहीं माना जाता है।

रक्षा बंधन की पौराणिक कथा

रक्षा बंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनका अपना महत्व और मान्यता है। महाभारत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल का वध किया था तो उस दौरान सुदर्शन चक्र के प्रभाव से उनकी उंगली से खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा कृष्ण जी की उंगली में बांधा, जिसके बदले में भगवान ने भाई बनकर द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया। इसी के बाद से बहनें अपने भाई की कलाई पर कच्चा सूत बांधने लगी, जिसने बदलते दौर में डिजाइनर राखी का रूप ले लिया।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 12, 2025 09:58 AM

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