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रक्षाबंधन पर भूल से भी न बांधें ऐसी राखियां, भाई को हो सकता है नुकसान

Rakshabandhan 2025: सावन माह की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में यह 9 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और बदले में उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। हालांकि आजकल बाजार में अलग-अलग प्रकार की राखियां आ चुकी हैं, लेकिन कुछ राखियां ऐसी हैं, जिनको भाइयों को नहीं बांधना चाहिए। ऐसी राखियों को बांधने से भाई को नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं कि भाई को कौन सी राखियां नहीं बांधनी चाहिए।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Jul 31, 2025 09:58
Rakshabandhan 2025
Credit- pexels

Rakshabandhan 2025: सावन माह का अंतिम दिन पूर्णिमा को होता है, इसी दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त को पड़ रहा है। रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जो प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का बंधन है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वे अपने भाइयों से अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।

इस दिन के लिए राखी चुनते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है, क्योंकि गलत राखी का चयन न केवल परंपरा को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भाई के लिए नकारात्मक ऊर्जा या अशुभ प्रभाव भी ला सकता है। आइए जानते हैं, रक्षाबंधन पर किन राखियों को बांधने से बचना चाहिए?

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ब्रेसलेट वाली राखी

आजकल बाजार में फैशन के नाम पर ब्रेसलेट जैसी राखियां खूब बिक रही हैं, जिनमें चमकदार धातु, प्लास्टिक के मोती या अन्य आधुनिक डिजाइन शामिल होते हैं। ये राखियां भले ही दिखने में आकर्षक हों, लेकिन रक्षाबंधन की परंपरा में इनका कोई विशेष महत्व नहीं है। राखी का धार्मिक और भावनात्मक महत्व पवित्र धागे से जुड़ा है, जो सादगी और शुद्धता का प्रतीक है। ब्रेसलेट जैसी राखियां केवल सजावटी होती हैं। इनको रक्षासूत्र के तरीके नहीं बांधा जा सकता है।

भगवान की तस्वीर वाली राखियां

कई बार लोग भगवान की तस्वीर या प्रतीक जैसे गणेश जी, कृष्ण जी या अन्य देवी-देवताओं की छवि वाली राखियां वाली राखियां खरीदते हैं। ऐसी राखियां भाई को नहीं बांधनी चाहिए। इसका कारण यह है कि कोई व्यक्ति हर समय पवित्र नहीं रह सकता है। ऐसे में भगवान की तस्वीर वाली राखी बांधना उचित नहीं माना जाता। इसे ईश्वर का अपमान होता है और इससे भाई के ऊपर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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एविल आई वाली राखी

कुछ लोग नजर दोष से बचाने के लिए ‘एविल आई’ डिजाइन वाली राखियां खरीदते हैं, जिनमें नीले रंग का मोती या नजर उतारने का प्रतीक होता है। हालांकि, यह इरादा भाई की रक्षा करना हो सकता है, लेकिन ऐसी राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। दरअसरल उसे शैतान की आंख माना जाता है, जो एक नकारात्मक ऊर्जा है। इसकी जगह आप रुद्राक्ष आदि की राशि बांध सकती हैं।

काले रंग की राखी

राखी का रंग भी बहुत मायने रखता है। काला रंग, भले ही स्टाइलिश लगे, लेकिन इसे शुभ अवसरों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। हिंदू मान्यताओं में काला रंग नकारात्मक ऊर्जा या अशुभता का प्रतीक माना जाता है। रक्षाबंधन जैसे पवित्र अवसर पर काले रंग की राखी बांधने से भाई के लिए अशुभ प्रभाव पड़ सकता है। इसके बजाय, लाल, पीले, केसरिया या हरे जैसे शुभ रंगों वाली राखी चुनें, जो सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक हैं।

प्लास्टिक या कृत्रिम सामग्री वाली राखी

बाजार में प्लास्टिक या कृत्रिम सामग्री से बनी राखियां भी बिकती हैं। ये देखने में भले ही खूबसूरत लगें, लेकिन ये सकारात्मक प्रभाव नहीं डालती हैं। ऐसे में इस प्रकार की राखियों को बांधने से बचना चाहिए। परंपरागत रूप से राखी रेशम, सूती धागे या प्राकृतिक सामग्री से बनाई जाती है, जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ शुद्धता का प्रतीक है। प्लास्टिक की राखी बांधने से न केवल पर्यावरण को हानि पहुंचती है, बल्कि यह भाई पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती है।

राखी चुनते समय इन बातों का रखें ध्यान

राखी चुनते समय सादगी को प्राथमिकता दें। रेशम या सूती धागे से बनी राखी सबसे उत्तम मानी जाती है। राखी में ओम, स्वास्तिक, रुद्राक्ष या शुभ रत्नों का उपयोग करें, जो सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। लाल, पीला, हरा या केसरिया जैसे रंगों का चयन करें, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक हैं। राखी केवल एक धागा नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता का प्रतीक है। इसे चुनते समय अपने दिल से सोचें और प्रेम के साथ बांधें।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 31, 2025 09:56 AM

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