Navgrah Upay: सनातन धर्म के लोगों के लिए कर्मों का विशेष महत्व है। माना जाता है कि जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है, उनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति कमजोर होने लगती है। वहीं अच्छे कर्म करने से ग्रहों का संतुलन बना रहता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य, शुक्र, चन्द्रमा, बुध, मंगल, शनि, गुरु, राहु और केतु कुल 9 ग्रह हैं, जिनका अपना अलग महत्व होता है। कुंडली में मात्र एक ग्रह के कमजोर होने से व्यक्ति को शारीरिक समस्याओं से लेकर मानसिक और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। हालांकि कुछ उपायों को अपनाकर कुंडली में नवग्रहों की स्थिति को मजबूत भी किया जा सकता है।
इस समय प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वो शनि की साढ़ेसाती से लेकर 9 ग्रहों को मजबूत करने के एक सरल उपाय के बारे में बता रहे हैं। उनका मानना है कि यदि कोई व्यक्ति उनके द्वारा बताए गए इस उपाय को सच्चे मन से करता है, तो उसका जीवन खुशियों से भरा रहेगा। आज हम आपको प्रेमानंद महाराज द्वारा बताए गए उसी एक उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं।
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ग्रहों को मजबूत करने के लिए क्या करें?
प्रेमानंद महाराज का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से राधा रानी के नाम का जाप करता है, तो उसे अपनी प्रत्येक समस्या से छुटकारा मिल सकता है। यहां तक कि शनि की साढ़ेसाती से लेकर 9 ग्रहों के अशुभ प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।
बाबा बताते हैं कि देवी-देवताओं के नाम में प्रभावशाली व अद्भु शक्ति होती है, जिसके सही उच्चारण से पापों से मुक्ति मिल सकती है। नाम जप में न तो ज्यादा मेहनत लगती है और न ही पैसे खर्च होते हैं। आप कहीं पर भी बैठे-बैठे भगवान के नाम का जाप कर सकते हैं। प्रभु का नाम लेने से मन-दिमाग शांत होता है और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार और आलस खत्म होता है।
शनि की साढ़ेसाती क्या होती है?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि जन्म राशि से पहले, दूसरे या 12वें भाव में होता है, तो उस स्थिति को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। कुंडली में शनि की साढ़ेसाती के कारण व्यक्ति को सबसे ज्यादा मानसिक तनाव रहता है। इसके अलावा गृह क्लेश, बुरी नजर और पैसों की कमी का सामना करना पड़ता है।