Mahakumbh 2025: सनातन धर्म के लोगों की कुंभ मेला यानी महाकुंभ से खास आस्था जुड़ी है, जिसका आयोजन हर 12 साल में होता है। महाकुंभ भारत की चार पवित्र नदियों प्रयागराज के संगम, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा नदी और नासिक में गोदावरी नदी पर आयोजित होता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया गया है, जो साल 2025 में 26 फरवरी तक चलेगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है, जबकि माघ पूर्णिमा का व्रत 12 फरवरी 2025 को रखा जाएगा।
महाकुंभ में स्नान करने का खास महत्व है। माना जाता है कि महाकुंभ में किया जाने वाले स्नान न केवल पापों से छुटकारा दिलाता है, बल्कि आत्मा को भी शुद्धि करता है। इस साल महाकुंभ में तीन शाही स्नान की तिथि निर्धारित की गई थी, जबकि 6 अमृत स्नान थे। हालांकि कुछ लोगों के मन में इस बात को लेकर संशय है कि इस बार तीन शाही स्नान ही क्यों हैं? माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान क्यों नहीं होगा? तो चलिए जानते हैं इसके पीछे के कारण के बारे में।
कैसे तय होती है शाही स्नान की तिथि?
महाकुंभ में आयोजित शाही स्नान की तिथि ग्रह नक्षत्रों के आधार पर तय होती है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, जब सूर्य मकर राशि में और गुरु वृषभ राशि में विराजमान होते हैं, तो तब शाही स्नान होता है। मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी की तिथियों पर गुरु ग्रह वृषभ राशि और सूर्य ग्रह मकर राशि में मौजूद थे।
लेकिन महाशिवरात्रि के दिन गुरु तो वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे पर सूर्य देव कुंभ राशि में होंगे। वैदिक पंचांग के अनुसार, 12 फरवरी 2025 को देर रात 10 बजकर 3 मिनट पर सूर्य कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इसलिए शिवरात्रि के दिन होने वाला स्नान को शाही स्नान नहीं माना जाएगा।
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कब-कब हुआ शाही स्नान?
महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी 2025 यानी मकर संक्रांति के दिन हुआ था। इसके बाद दूसरा स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या को हुआ था। जबकि तीसरा और आखिरी शाही स्नान 3 फरवरी 2025 यानी बसंत पंचमी के दिन हुआ था।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।