व्रत के दिन पूरा समय भक्ति में लीन रहना चाहिए. व्रत में दिन के समय सोना सही नहीं होता है. आप आज अष्टमी तिथि के दिन में और शाम के समय माता रानी के भजन सुन सकते हैं. भजन और कीर्तन भी कर सकते हैं. इससे मन को शांति मिलती है. देवी मां की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती है. आप इन भजन को सुन सकते हैं.
Shardiya Navratri Maha Ashtami: आज शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है. नवरात्रि में आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी महादौरी की पूजा की जाती है. अष्टमी तिथि को कन्या पूजन भी किया जाता है. शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि आज यानी 30 सितंबर को है. इसे महा दुर्गाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन के साथ ही आपको मां दुर्गा को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए.
महा दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा होती है. मां महागौरी को शैलपुत्री का ही एक रूप माना जाता है. इनका स्वरूप बेहद प्यारा है. मां महागौरी का वाहन बैल है. देवी मां की चार भुजाएं हैं. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है, जबकि दूसरा हाथ अभय मुद्रा में हैं. बाएं हाथ में डमरू है और दूसरा हाथ वर मुद्रा में है. आप दिनभर में कई उपाय कर सकते हैं इससे आपको माता का आशीर्वाद मिलेगाा.
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर की शाम को 4 बजकर 31 मिनट पर हो गई थी. इस तिथि का समापन आज शाम 06 बजकर 06 मिनट पर होगा. आप अष्टमी तिथि पर किए जाने वाले पूजा और उपाय को शाम तिथि बदलने से पहले कर लें. इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी.
जो लोग नवरात्रि के 9 दिन के व्रत का संकल्प लेते हैं, उन्हें दशमी तिथि यानी दुर्गा विसर्जन के दिन ही उपवास का पारण करना चाहिए. वहीं, जिन्होंने केवल अष्टमी तिथि के व्रत का संकल्प लिया है, वो आज पूरे दिन व्रत रखेंगे. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शाम में शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन का प्रसाद खाकर अष्टमी व्रत का पारण किया जा सकता है.
अष्टमी तिथि पर कई लोग अपने घर में हवन करते हैं. इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, आज 30 सितंबर को दोपहर 12:37 मिनट से लेकर अगले दिन 1 अक्टूबर की दोपहर 01:54 मिनट तक हवन का शुभ मुहूर्त है. इस दौरान आप कभी भी हवन कर सकते हैं.
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
द्रिक पंचांग के अनुसार, आज 30 सितंबर 2025 को कन्या पूजन का पहला मुहूर्त निकल चुका है, जो सुबह 05:01 से सुबह 06:13 मिनट था. अब दूसरा मुहूर्त सुबह 10:41 मिनट से दोपहर 12:11 मिनट तक रहेगा. इसके बाद कन्या पूजन का तीसरा व आखिरी मुहूर्त सुबह 11:47 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक है. बता दें कि इसके बाद कन्या पूजन के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है.
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवासा॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुण्ड में था जलाया। उसी धुयें ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब देवी सती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया तो उनके पूरे शरीर पर मिट्टी जम गई. बाद में जब महादेव ने उन्हें प्रसन्न होकर पत्नी के रूप में स्वीकार किया तो देवी ने गंगाजल में स्नान किया.गंगाजल से स्नान के बाद उनका स्वरूप अत्यंत तेजवान दिखने लगा. तब भगवान शिव ने माता के उस गौर वर्ण रूप को देखकर उन्हें महागौरी कहा. तब से भक्तगण उन्हें महागौरी के नाम से पूजते हैं.
समस्त देशवासियों को 'दुर्गा अष्टमी' के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।यह महापर्व केवल भक्ति का प्रतीक नहीं, अपितु शक्ति, साहस, धैर्य और सद्भावना का प्रतीक है। नवरात्रि के इस मंगल अवसर पर माँ दुर्गा की आराधना से प्राप्त दिव्य ऊर्जा हमें सत्य, धर्म और कर्तव्यनिष्ठा के पथ पर… pic.twitter.com/JqfgqtmtPc
— Rekha Gupta (@gupta_rekha) September 30, 2025
नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर लें. इसके बाद स्वच्छ सफेद या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें. गंगाजल छिड़कर घर और पूजा स्थल को शुद्ध कर लें और इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. घर के मंदिर में चौकी लगाकर मां महागौरी की मूर्ति स्थापित करें. मां महागौरी को देवी को फूल, फल, धूप, दीप, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें. मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और देवी महागौरी के मंत्रों का जाप करें. व्रत की कथा सुनें या पढ़ें और आरती करें.










