Vastu Tips: नया साल 2025 का शुभारंभ हो चुका है। यह समय न केवल बीते हुए साल का आत्ममंथन करने का है, बल्कि नए साल में बेहतर जीवन की योजना बनाने का भी है। इस अवसर पर लोग अपनी जिंदगी में नए लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं और सकारात्मक बदलावों की शुरुआत करते हैं। सुख-शांति और संपन्नता की कामना हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा होती है, और इसे बनाए रखने के लिए वास्तुशास्त्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
महाकाव्य महाभारत, भारतीय संस्कृति का अनमोल ग्रंथ, न केवल युद्ध और धर्म की गाथा है, बल्कि इसमें जीवन के हर पहलू पर गहरा ज्ञान है। इस महाकाव्य में भगवान श्रीकृष्ण को एक अद्वितीय मार्गदर्शक और परम ज्ञानी के रूप में वर्णित किया गया है। वे न केवल धर्म और नीति के ज्ञाता थे, बल्कि वास्तुशास्त्र में भी उनकी विशेषज्ञता थी। युधिष्ठिर के राजतिलक के समय, जब इंद्रप्रस्थ को नए सिरे से बसाया गया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने राज्य की सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए वास्तुशास्त्र के कई विशिष्ट उपाय बताए थे। उन्हीं उपायों में से 5 खास उपायों को यहां बताया गया है। यदि आपने इनको अपने जीवन में अपना लिया तो नए साल 2025 में आपकी किस्मत चमक सकती है। आइए जानते हैं, क्या हैं ये खास वास्तु उपाय?
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महल की दिशा का निर्धारण
भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि राजा के महल का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह दिशा सूर्यदेव की ऊर्जा का प्रतीक है और इसे शुभ माना जाता है। यह राज्य में प्रचुरता, शक्ति और स्थिरता लाता है। यही कारण है कि आज भी घरों के द्वार को पूर्व दिशा में रखे जाते हैं। ये दिशा उपलब्ध न होने की सूरत में किसी अन्य दिशा को चुना जाता है। साथ ही भगवान कृष्ण ने यह भी सलाह दी कि राज्य में जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश—इन पांच तत्वों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
इस दिशा में होना चाहिए पीने का पानी
महाभारत में भगवान कृष्ण ने वास्तुशास्त्र के महत्व को युधिष्ठिर के समक्ष स्पष्ट किया। जब इंद्रप्रस्थ के निर्माण और युधिष्ठिर के राजतिलक की बात आई, तो भगवान कृष्ण ने राज्य और महल की सुख-समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कई वास्तु उपाय सुझाए। इनमें से एक महत्वपूर्ण निर्देश था—पानी की उचित व्यवस्था उत्तर-पूर्व दिशा में करना। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि पानी, जो जीवन का मूल स्रोत है, की सही दिशा में व्यवस्था होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण कहा जाता है, जल तत्व के लिए सबसे शुभ और पवित्र मानी जाती है।
चंदन से दूर होता है वास्तु दोष
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वास्तु और जीवन प्रबंधन के अद्भुत सुझाव दिए, जिनमें चंदन का उल्लेख विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने चंदन को केवल एक प्राकृतिक सामग्री नहीं, बल्कि पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक बताया। श्रीकृष्ण ने समझाया कि महल या घर में चंदन रखना वास्तु दोषों को समाप्त करने के साथ ही शांति और समृद्धि का संचार करता है।
महल में घी न हो कभी कम
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जीवन के हर पहलू में शुद्धता और सकारात्मकता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण वास्तु और आचरण संबंधी सुझाव दिए। इनमें से एक विशेष सलाह थी—घर में हमेशा गाय के शुद्ध घी का होना अनिवार्य है। श्रीकृष्ण ने इसे केवल एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और वास्तु दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया। चाहे वह घर की संरचना में कमी हो या वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा, गाय का घी इन सभी को संतुलित करता है।
शहद से बढ़ती है सकारात्मक ऊर्जा
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को समझाया कि शहद आत्मा को शुद्ध करता है। इसका नियमित उपयोग व्यक्ति के भीतर सकारात्मकता का संचार करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है। श्रीकृष्ण ने कहा कि शहद का घर में होना वातावरण को शुद्ध और स्वच्छ बनाए रखता है। शहद की प्राकृतिक ऊर्जा घर में शांति और सकारात्मकता लाने में सहायक होती है।
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