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Sawan Pradosh 2025: आज सावन का अंतिम प्रदोष व्रत, जानिए पूजाविधि और शुभ मुहूर्त

Sawan Pradosh 2025: सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सावन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बाद यह 6 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन समस्त कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। आइए जानते हैं कि आज सावन के अंतिम प्रदोष की पूजा विधि व मुहूर्त क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 6, 2025 01:55
lord shiva and ganesha
credit- Unsplash

Sawan Pradosh 2025: सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इस महीने में पड़ने वाला प्रदोष व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन पूजन से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा मिलती है। सावन 2025 में आखिरी प्रदोष व्रत 6 अगस्त यानी कि आज रखा जा रहा है। आज बुधवार के दिन है। इस कारण इसे ‘बुध प्रदोष व्रत’ कहा जाएगा। यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।

पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त 2025 को दोपहर 2:08 बजे शुरू होगी और 7 अगस्त 2025 को दोपहर 2:27 बजे समाप्त होगी। इस कारण व्रत और पूजा 6 अगस्त को ही की जाएगी। प्रदोष काल पूजा का समय शाम 7:08 बजे से रात 9:16 बजे तक रहेगा, जो कुल 2 घंटे 8 मिनट का होगा।

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यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:20 बजे से 5:03 बजे तक रहेगा, जो स्नान और दान-पुण्य के लिए उत्तम है। रुद्राभिषेक के लिए सुबह से दोपहर 2:08 बजे तक का समय अच्छा है, क्योंकि इस दौरान भगवान शिव का वास कैलाश पर माना जाता है। राहुकाल दोपहर 12:27 बजे से 2:07 बजे तक रहेगा, इस समय पूजा से बचना चाहिए, हालांकि कालसर्प दोष निवारण के लिए यह समय लाभकारी हो सकता है।

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है और इसे सावन मास में रखने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से व्रत और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत घर में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। ग्रह दोषों को कम करने में यह व्रत सहायक होता है, जिससे कारोबार और नौकरी में उन्नति के योग बनते हैं। इसके अलावा, यह व्रत शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है और संतान सुख की प्राप्ति में भी मदद करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत पिछले जन्मों और वर्तमान जीवन के पापों का नाश करता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

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बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सावन के आखिरी प्रदोष व्रत की शुरुआत सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और संकल्प से करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और शिवलिंग की स्थापना करें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक करें, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, अक्षत, चंदन, फल और मिठाई अर्पित करें।

माता पार्वती को लाल फूल, सिंदूर और सुहाग सामग्री चढ़ाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके साथ ही आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। धूप और दीप जलाकर आरती करें, प्रदोष व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें। भगवान शिव को खीर, बर्फी, मालपुआ, ठंडाई या फल का भोग लगाएं। पूजा के अंत में शिव मंदिर की आधी परिक्रमा करें और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान और पूजा के पश्चात व्रत का पारण करें। भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते, हल्दी, लाल फूल, केतकी के फूल और शंख से जल चढ़ाने से बचें।

कर सकते हैं रुद्राभिषेक

इस दिन रुद्राभिषेक करना कालसर्प दोष और अन्य ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाता है। ब्रह्म मुहूर्त में गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। शिव पंचाक्षरी मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप यथाशक्ति करें। व्रत फलाहार या निर्जल रख सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Aug 06, 2025 01:53 AM

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