Jitiya Vrat Katha: अपने बच्चों की सलामती के लिए हर साल माताएं जितिया का व्रत रखती हैं। मान्यता है कि ये व्रत रखने से संतान की आयु में वृद्धि होती है और उनके जीवन में आ रही विभिन्न समस्याएं भी कम होने लगती हैं। हालांकि ये व्रत काफी कठिन होता है, क्योंकि व्रत के तहत 24 घंटे अन्न और पानी ग्रहण नहीं करना होता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जितिया का व्रत रखा जाता है। जो इस बार 25 सितंबर 2024 को है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10:41 मिनट से लेकर दोपहर 12:12 मिनट तक है। जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा 24 सितंबर 2024 और व्रत का पारण 26 सितंबर 2024 को किया जाएगा। देश के कई शहरों में जितिया व्रत को जिउतिया व्रत और जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक पूरी श्रद्धा से करने और व्रत की कथा को सुनने व पढ़ने से बच्चों का जीवन खुशियों से भरा रहता है। आइए अब जानते हैं जितिया व्रत की असली व सही कथा के बारे में।
जितिया व्रत की संपूर्ण कथा
जितिया व्रत में चिल्हो नाम की चील और सियारो की कथा सुनने व पढ़ने का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक वन में सेमल का पेड़ था, जिस पर एक चिल्हो रहती थी। पेड़ के पास घनी झाड़ियां थी, जिसमें एक सियारिन रहती थी। चिल्हो और सियारिन अच्छे दोस्त थे, जो मिलजुलकर हर काम करते थे। एक दिन वन के पास कुछ महिलाएं जितिया व्रत की पूजा की तैयारियां कर रही थी। चिल्हो और सियारिन ने महिलाओं की बातों को ध्यान से सुना और खुद ये व्रत रखने का निर्णय किया।
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किसने तोड़ा व्रत का संकल्प?
शाम तक सियारिन और चिल्हो दोनों ने निर्जला व्रत रखा। लेकिन रात होते ही सियारिन को भूख लगने लगी। जब सियारिन से भूख बर्दाश्त नहीं हुई, तो उसने मांस और हड्डी खा ली। जब ये बात चिल्हो को पता चली, तो उसने सियारिन को खूब डांटा और कहा, ‘जब तुमसे व्रत नहीं रखा जाता है, तो संकल्प क्यों लिया।’ हालांकि चिल्हो ने अपना व्रत पूरा किया।
सियारिन चिल्हो से क्यों जलती थी?
अगले जन्म में सियारिन और चिल्हो ने राजकुमारी के रूप में जन्म लिया, जो सगी बहनें थीं। सियारिन चिल्हो से बड़ी थी, जिसकी शादी एक राजकुमार से हुई। चिल्हो छोटी थी, जिसकी शादी उसी राज्य के मंत्री के पुत्र से हुई। शादी के बाद सियारिन के कई बार बच्चे हुए, लेकिन सभी मर जाते थे। जबकि चिल्हो के बच्चे स्वस्थ और सुंदर थे। इस बात को लेकर सियारिन चिल्हो से जलने लगी। उसने कई बार चिल्हो के बच्चों को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार वो नाकाम रही। यहां तक कि सियारिन ने अपनी बहन और जीजा जी की जान लेने का भी प्रयास किया, लेकिन वो उनका बाल भी बांका नहीं कर पाई।
सियारिन को कैसे हुआ अपनी गलती का अहसास?
एक दिन सोते हुए दैवयोग से सियारिन को अपनी भूल का अहसास हुआ, जिसके बाद उसने अपनी बहन से क्षमा मांगी और बहन के कहने पर जितिया का व्रत किया। विधि-विधान से ये व्रत करने के बाद सियारिन को पुत्र की प्राप्ति हुई, जो जीवनभर स्वस्थ रहा। इसी के बाद से माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए जितिया का व्रत रखती आ रही हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से निसंतान महिलाओं को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है।
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