पुराणों में बताया गया है कि प्राचीन काल में चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस तिथि पर हनुमान जयंती यानी हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हनुमान जी राम जी के परम भक्त हैं, जिनकी पूजा करने से साधक को भय, क्रोध, लालसा और नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है। इस बार 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाएगा।
जहां कुछ लोग हनुमान जयंती पर केवल बजरंग बली की पूजा करते हैं, तो कुछ व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से साधक को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके घर-परिवार में चल रही सभी परेशानियां दूर होती हैं। हालांकि हनुमान जी की पूजा के दौरान व्रती को कई बातों का खास ध्यान रखना होता है। नहीं तो उनका व्रत खंडित हो जाता है। चलिए जानते हैं संकटमोचन की पूजा व व्रत से जुड़े अहम नियमों के बारे में।
हनुमान जी की पूजा से जुड़े नियम
- बजरंग बली की पूजा में चरणामृत या पंचामृत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यदि आप हनुमान जी को चरणामृत या पंचामृत चढ़ाते हैं, तो इससे आपको पाप लग सकता है। इसके अलावा आपका व्रत भी खंडित हो सकता है।
- यदि आप हनुमान जयंती का व्रत रखते हैं या इस दिन बजरंग बली की पूजा करते हैं, तो पूरे दिन नमक का सेवन न करें। यदि आप इस दिन नमक खाते हैं, तो इससे आपका व्रत टूट सकता है। इसके अलावा व्रत के दिन गंध युक्त चीजें और तामसिक भोजन भी घर में नहीं बनाने चाहिए।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, लाल रंग हनुमान जी को अति प्रिय है। लेकिन उनकी पूजा में साधक को लाल रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। लाल के अलावा काला और सफेद रंग के कपड़े भी इस दिन धारण नहीं करने चाहिए।
- हनुमान जयंती के दिन बजरंग बली की पूजा पीपल या नीम के पेड़ के नीचे या पास नहीं करनी चाहिए। इससे आपको पाप लग सकता है।
- व्रत के दिन साधक को झूठ नहीं बोलना चाहिए। इसके अलावा किसी का अनादर न करें और गलत चीजों से खुद को दूर करें।
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बजरंग बली की पूजा विधि
- हनुमान जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध कपड़े धारण करें।
- घर के मंदिर में एक लकड़ी की चौकी रखें। चौकी के ऊपर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- दोनों हाथ जोड़कर हनुमान जयंती के व्रत का संकल्प लें।
- बजरंग बली का सिंदूर से तिलक करें। साथ ही उन्हें चंदन, फूल, फल, इत्र, नैवेद्य, बूंदी, बेसन के लड्डू, पान का बीड़ा और गुड़ आदि अर्पित करें।
- हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करें।
- अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।