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Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा आज, जानिए क्या है पूजन विधि और शुभ मुहूर्त?

Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो मां गंगा की पवित्रता और उनके धरती पर अवतरण के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, जो साल 2025 में 5 जून को है। आइए जानते हैं कि इस दिन पूजन और शुभ पूजा मुहूर्त क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 5, 2025 07:05
Ganga Dussehra 2025
गंगा दशहरा आज Pic Credit- unsplash

Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा मां गंगा के पवित्र अवतरण का उत्सव है, जो राजा भगीरथ की तपस्या और भगवान शिव की कृपा से संभव हुआ । पौराणिक कथाओं के अनुसार मां गंगा स्वर्ग से धरती पर आईं तो उनका वेग बेहद तेज था। इस कारण उनकी धारा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में समाहित कर नियंत्रित किया। गंगा नदी को पवित्रता और मोक्ष की प्रतीक माना जाता है। गंगा दशहरा के दिन स्नान और पूजा से न केवल आत्मिक शुद्धि होती है, बल्कि मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि भी प्राप्त होती है। इस दिन पूजा से दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है, और गंगा स्नान, पूजा और दान से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 4 जून 2025 को रात 11:54 बजे शुरू हुई थी और 6 जून 2025 को रात 2:15 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर, गंगा दशहरा आज, 5 जून 2025, गुरुवार को मनाया जा रहा है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे पूजा, स्नान और दान के लिए विशेष बनाते हैं।

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ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:02 से 4:42 बजे तक रहेगा, जो स्नान और पूजा के लिए सर्वोत्तम समय है। सिद्धि योग सुबह 9:14 बजे तक प्रभावी रहेगा, जबकि हस्त नक्षत्र पूरे दिन रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:02 बजे से 12:54 बजे तक रहेगा, और दान के लिए सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक का समय शुभ है। इन मुहूर्तों में किए गए कार्य विशेष फलदायी माने जाते हैं।

गंगा दशहरा की पूजन विधि

गंगा दशहरा की पूजा श्रद्धा और विधि-विधान से करने से मां गंगा की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान से करें। यदि गंगा नदी में स्नान संभव हो, तो वहां जाएं। अन्यथा, घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें और ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ मंत्र का जाप करें।

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स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें। एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और मां गंगा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पास में गंगा जल से भरा तांबे या मिट्टी का कलश रखें। पूजा के लिए फूल, धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत, मिठाई, फल, पंचामृत और तुलसी पत्र तैयार करें।

यह दशमी तिथि का पर्व है, इसलिए दस फूल, दस दीपक या दस प्रकार की पूजा सामग्री का उपयोग करें। सबसे पहले गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करें, क्योंकि गंगा का अवतरण शिव जी की कृपा से हुआ था। इसके बाद मां गंगा को चंदन, अक्षत, फूल अर्पित करें। गंगा मंत्र ‘ॐ नमो भगवती हिली हिली मिली मिली गंगे मां पाहि माम्’ का 108 बार जाप करें और गंगा स्तोत्र या गंगा चालीसा का पाठ करें।

इसके बाद दीप जलाकर मां गंगा की आरती करें। पूजा के बाद गंगा तट पर दीपदान करें और गरीबों को अनाज, तिल, गुड़, कपड़े या धन का दान करें, साथ ही ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का जाप करें। अंत में प्रसाद को परिवार और जरूरतमंदों में बांटें और गंगा जल को घर में रखकर नियमित पूजा में उपयोग करें।

पूजा से मिलते हैं ये लाभ

गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और पूजा से दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और मन को गहरी शांति प्रदान करता है। गंगा जल के औषधीय गुण स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, विशेष रूप से त्वचा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए।

यह पर्व धन, समृद्धि और पारिवारिक सुख में वृद्धि लाता है, क्योंकि मां गंगा की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गंगा दशहरा आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करता है, क्योंकि इस दिन की पूजा और मंत्र जाप से चेतना का स्तर ऊंचा होता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jun 05, 2025 07:05 AM

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