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Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: 16 या 17 फरवरी, कब है संकष्टी चतुर्थी? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश को समर्पित द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। हालांकि इस बार संकष्टी चतुर्थी की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं वर्ष 2025 में 16 फरवरी या 17 फरवरी, किस दिन संकष्टी चतुर्थी का उपवास रखा जाएगा।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Feb 15, 2025 13:01
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Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का खास महत्व है। संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। माना जाता है कि जो महिलाएं संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं, उनके बच्चों की लंबी उम्र और अच्छी सेहत का वरदान गणेश जी से मिलता है। साथ ही घर-परिवार में खुशियों का आगमन होता है।

चलिए जानते हैं साल 2025 में किस दिन द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। साथ ही आपको भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में पता चलेगा।

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2025 में कब है संकष्टी चतुर्थी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 15 फरवरी 2025 को दोपहर 11:52 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 17 फरवरी 2025 को सुबह 02:15 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 फरवरी 2025, दिन रविवार को रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा का अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12:18 से लेकर 01:03 मिनट तक है।

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संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण कब होगा?

संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से लेकर चन्द्रोदय तक रखा जाता है, जिस दौरान फल और वनस्पतियों का सेवन किया जाता है। शाम में चन्द्र दर्शन के बाद ही द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण होता है। 16 फरवरी 2025 को चन्द्रोदय देर रात 09:39 के आसपास होगा। संकष्टी चतुर्थी पर व्रती चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और उसके बाद व्रत का पारण करें।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

  • व्रत के दिन स्नान आदि कार्य करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
  • भगवान गणेश की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
  • गणेश जी की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • गणेश जी को दीप, धुप, पुष्प, मोदक और फल आदि अर्पित करें। इस दौरान गणेश मंत्रों का उच्चारण करें।
  • घी के दीपक से गणेश जी की आरती उतारें।
  • दिनभर व्रत के दौरान ज्यादा से ज्यादा मौन रहने का प्रयास करें।
  • रात में चंद्र पूजा करने के बाद पानी पीकर व्रत का पारण करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Feb 15, 2025 01:01 PM

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