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Religion

बाबा बर्फानी बनकर गुफा में विराजे महादेव, प्रथम पूजा संपन्न

Amarnath Yatra 2025: 11 जून को जम्मू की तवी नदी पर विश्व हिंदू परिषद ने ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर अमरनाथ 2025 की प्रथम पूजा का आयोजन किया गया। इस अनुष्ठान में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल भी मौजूद रहे।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 11, 2025 23:49
amarnath yatra
अमरनाथ गुफा में मौजूद शिवलिंग

Amarnath Yatra 2025: 11 जून 2025 को जम्मू के तवी नदी तट पर विश्व हिंदू परिषद ने ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर अमरनाथ यात्रा 2025 की प्रथम पूजा का आयोजन किया। इस पवित्र अनुष्ठान में श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (SASB) के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उपस्थित रहे। पूजा त्रिकूट पहाड़ियों और रघुनाथ मंदिर की पृष्ठभूमि में माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद के साथ संपन्न हुई।

वीएचपी के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि यह आयोजन सामुदायिक सहभागिता के साथ किया गया है, जो अमरनाथ यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी और 38 दिनों तक चलेगी। जो 9 अगस्त को सावन पूर्णिमा पर समाप्त होगी।

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क्या है यात्रा का धार्मिक महत्व?

अमरनाथ यात्रा अपने आप में अनूठी तीर्थयात्रा है। यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि आत्मिक तपस्या और शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक है। यह यात्रा 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा तक होती है। यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ से भगवान शिव का शिवलिंग बनता है। जिसे हिमलिंग भी कहा जाता है। बाबा शिव के इस स्वरूप को बर्फानी भी कहा गया है।

स्कंद पुराण और कालिका पुराण के अनुसार इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, जो अमरता और मोक्ष का रहस्य बताती है। मान्यता है कि इस कथा को सुनने से मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है।

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यह यात्रा श्रद्धा, तपऔर समर्पण का संगम है। हर साल लाखों लोग इस कठिन यात्रा को पूरा करते हैं। स्कंद पुराण में कहा गया है, ‘अमरनाथ गमनं पुण्यं मृत्युञ्जय पदं लभेत्,’ अर्थात् अमरनाथ की यात्रा करने वाला व्यक्ति मृत्यु को जीतने वाला शिव-पद प्राप्त करता है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि तांत्रिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शिव-तत्त्व और चंद्र-तत्त्व के योग को दर्शाती है।

बाबा बर्फानी का है चमत्कारी स्वरूप

अमरनाथ गुफा में बनने वाला हिमलिंग अपने आप में एक चमत्कार है। यह प्राकृतिक शिवलिंग चंद्रमा की कलाओं के साथ बढ़ता और घटता है। पूर्णिमा पर इस शिवलिंग का आकार पूर्ण होता है, जबकि अमावस्या पर यह लुप्त हो जाता है। यह चंद्र-तत्त्व और शिव-शक्ति का अनूठा संयोग है, जो लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई तब उन्होंने सुनिश्चित किया कि कोई अन्य प्राणी वहां मौजूद न हो। इसके बाद भी दो कबूतरों ने यह कथा सुनी और अमर हो गए। जिनके आज भी गुफा में दिखाई देने की मान्यता है।

कभी नहीं रुकी है यात्रा

विहिप के राजेश गुप्ता ने हाल के पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद के बावजूद अमरनाथ यात्रा कभी नहीं रुकी है। उन्होंने बताया कि अतीत में भी जब आतंक अपने चरम पर था, तब भी भक्तों ने बिना डर के यात्रा की। इस साल भी 70,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के साथ यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि सावन पूर्णिमा पर होने वाला शिव महोत्सव भी भक्तों को उत्साह और श्रद्धा के साथ आकर्षित करेगा।

First published on: Jun 11, 2025 11:49 PM

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