अक्षय तृतीया के शुभ दिन से इस बार चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई है। 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खोले गए, जिसके बाद 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए। केदारनाथ के बाद आज यानी 3 मई 2025 को प्रात: काल शुभ मुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोले गए। मंदिर के कपाट खुलते ही शिवलिंग का जलाभिषेक, शिव-पार्वती जी की पूजा और महाआरती की गई। इस दौरान मंदिर में भक्तों ने बाबा भोलेनाथ के नाम का जयकारा लगाया। साथ ही बाबा भोलेनाथ के दर्शन किए और पार्वती सरोवर में पवित्र स्नान किया। चलिए अब विस्तार से जानते हैं आदि कैलाश मंदिर की खासियत के बारे में।
कहां स्थित है आदि कैलाश मंदिर?
आदि कैलाश मंदिर, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में पार्वती ताल के पास ज्योलिंगकांग नामक जगह पर स्थित है। ये मंदिर पंच कैलाशों में दूसरा सबसे पवित्र स्थल है, जिसे छोटा कैलाश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
कैलाश यात्रा करने वाले भक्तों को इस मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर के दर्शन किए बिना कैलाश यात्रा पूरी नहीं होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ये वो ही स्थान है जहां पर प्राचीन काल में माता पार्वती ध्यान में बैठा करती थीं। इसे भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान भी कहा जाता है। वहीं कुछ मान्यताओं के मुताबिक, आदि कैलाश को शिव जी और मां पार्वती के विवाह का स्थल भी माना जाता है।
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आदि कैलाश ओम पर्वत की पवित्र यात्रा के दौरान पार्वती कुंड के निकट विराजमान भगवान शिव का प्राचीन मंदिर आज श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।#Adikailash pic.twitter.com/Ol1pcP3rxq
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) May 2, 2025
आदि कैलाश मंदिर कैसे पहुंचे?
आदि कैलाश मंदिर के सबसे नजदीकी काठगोदाम रेलवे स्टेशन है, जो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में हल्द्वानी के पास मौजूद है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आपको पिथौरागढ़ के लिए बस या टैक्सी आसानी से मिल जाएगी। इसके बाद आपको धारचूला के लिए बस या टैक्सी लेनी होगी। धारचूला से मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा या स्थानीय परिवहन का सहारा ले सकते हैं।
2023 में पीएम मोदी ने किए थे दर्शन
बता दें कि 12 अक्टूबर 2023 को उत्तराखंड दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आदि कैलाश मंदिर के दर्शन किए थे। यहां पर पीएम मोदी ने ध्यान लगाया था, जिसके बाद से ही इस क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखी गई।
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