मानस श्रीवास्तव, संवाददाता
BSP Chief Mayawati: सोशल इंजीनियरिंग के अपने फार्मूले को इस बार मायावती अलग-अलग अंदाज में आजमाने जा रही हैं। इस बार मायावती सामाजिक बैठकों के जरिए सियासी समीकरण साधने की कोशिश में हैं। दरअसल 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर सवार होकर मायावती ने पूर्ण बहुमत तो हासिल कर ली थी लेकिन उसके बाद किसी भी चुनाव में उनका यह फार्मूला कामयाब नहीं हुआ। बावजूद इसके मायावती हर बार इस फार्मूले को आजमाती रही।
आने वालें चुनाव की तैयारी में
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले BSP चीफ मायावती का सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस है। आने वाले चुनाव को लेकर उनका प्लान हर जाति को साथ लेकर चलने का है। बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 में जीत हासिल कर केंद्र में अपनी सत्ता बरकरार रख सके। क्योंकि बसपा के जनाधार में लगातार कमी आ रही है। यूपी विधानसभा चुनाव 2007 में अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 13 फीसदी वोट मिले हैं। जबकि यूपी में करीब 22 फीसद दलित वोट है। साफ जाहिर हो रहा है कि बहुजन समाज पार्टी का बेस वोट जो कि दलित है। वह भी दूर होने लगा है।
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बूथ स्तर पर सामाजिक बैठकों का आयोजन
लोकसभा चुनाव 2024 में वह नए अंदाज में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को आजमाने की कोशिश में है। इसके तहत उन्होंने पार्टी नेताओं को निर्देश दिए हैं कि वह बूथ स्तर पर सामाजिक बैठकों का आयोजन करें इन बैठकों में समाज के सभी वर्गों को आमंत्रित करें लेकिन दलित और पिछड़ों पर फोकस ज्यादा होना चाहिए साथ ही सवर्ण समाज के लोगों को बुलाकर बताएं कि बीएसपी में सर्व समाज के लिए अपनी सरकार में कौन-कौन से अच्छे काम किये। यह बैठक जनवरी माह से शुरू होगी और चुनाव तक इन सामाजिक बैठकों का दौर जारी रहेगा। जिसकी समीक्षा खुद मायावती बीच-बीच में करती रहेंगी।