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Cyclone Montha Landfall Update: बंगाल की खाड़ी में बन रहे डीप डिप्रेशन के चलते देश पर 'मोन्था' नामक चक्रवाक का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. यह तूफान आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से टकराएगा. साइक्लोन की तेजी 830 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा से आ रही है. हालांकि, यह गुजरात की तरभ भी मुड़ सकता है. बता दे कि तूफान को लेकर ओडिशा और तमिलनाडु में रेड अलर्ट जारी किया गया है. आइए जानते हैं भारत से टकराएं ऐसे 10 चक्रवातों के बारे में...

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ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999)- 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आया यहा तूफान, 10,000 से ज्यादा लोगों की मौत का कारण बना था. इससे ओडिशा में भारी तबाही हुई थी, खासतौर पर जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और भुवनेश्वर में.

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कलकत्ता में आए अदन चक्रवात राज्य से 1885 टकराया था. पश्चिम बंगाल में यह 200 किमी/घंटा की रफ्तार से टकराया था. इसमें करीब 60,000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई थी.

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भोला, चक्रवात (1970) में आया था, जो बंगाल की खाड़ी से उठा था. यह तूफान इतना खतरनाक था कि इससे 3-5 लाख लोगों की जान चली गई थी. इसे एशिया का सबसे घातक चक्रवात माना जाता है.

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कोरिंगा चक्रवात, साल 1839 में आंध्र प्रदेश के कोरिंगा शहर को पूरी तरह मिटा देने वाला यह साइक्लोन भयावह था. इसमें करीब 3 लाख लोग मारे गए थे. हालांकि, उस वक्त देश पर ब्रिटिश राज था.

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बंगाल चक्रवात, 1942, यह साइक्लोन 16 अक्टूबर की दोपहर को पश्चिम बंगाल से टकराया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिदनापुर और 24 परगना जिले में इससे भारी तबाही हुई थी. ओडिशा में तबाही के साथ-साथ इस चक्रवात से महामारी फैल गई थी.

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आंध्र तटीय चक्रवात (1977), यह तूफान 250 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से आया था. इसमें 10,000 से अधिक मौतें और लाखों लोग बेघर हो गए थे.

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साइक्लोन फनी, यह साल 2019 में आया था, जो ओडिशा से टकराया था. यह इस दशक में अब तक का सबसे शक्तिशाली तूफान था. हालांकि, इससे 89 मौतें हुई थी और करोड़ों लोग प्रभावित हुए थे.

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साइक्लोन हुदहुद, साल 2014 में विशाखापट्टनम में इस चक्रवात से भारी तबाही हुई थी. 21,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान और 124 मौतें हुई थी. इसका असर, ओडिशा और नेपाल में भी देखा गया था.

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साइक्लोन निसर्ग, साल 2020 के जून में आया यह तूफान महाराष्ट्र के तट से टकराया था. इस दुर्लभ तूफान से मुंबई में भी असर पड़ा था.

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2012 में साइक्लोन ताउते गुजरात और महाराष्ट्र से टकराया था. इसके कहर से 174 मौतें और हजारों घर तबाह हुए थे.