किडनी शरीर का एक ऐसा अंग है जिसके हेल्दी न रहने पर पूरे शरीर पर असर पड़ता है। साथ ही आप कई गंभीर बीमारियों का शिकार भी हो सकते हैं। खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान के कारण कई बार हम आपनी किडनी का ध्यान नहीं रख पाते हैं। इससे हमारा ऑवर-ऑल हेल्थ खराब हो जाता है। गलत खानपान, कम पानी पीना, ज्यादा नमक और प्रोसेस्ड फूड्स, शराब और धूम्रपान जैसी आदतें हमारी किडनी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचती है। अगर इन बुरा आदतों पर कंट्रोल न किया जाए, तो किडनी फेल्योर जैसी समस्या भी हो सकती है। इसके लिए आप अपनी डाइट में कुछ हेल्दी फूड को शामिल कर सकते हैं?
क्या कहते है एक्सपर्ट?
किडनी स्पेशलिस्ट डॉ पुरु धवन बताते हैं कि किडनी फेलर पेशेंट के लिए क्रिएटिनिन बहुत खतरनाक चीज होती है। क्रिएटिनिन लेवल बढ़ता जा रहा है तो अगर कोई किडनी फेलियर का पेशेंट अपने क्रिएटिनिन को कंट्रोल करना चाहता है तो उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है। क्रिएटिनिन मांसपेशी में बनने वाला एक वेस मटेरियल है जिससे हमारी किडनी बॉडी से बाहर हमेशा निकालती रहती है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपनी डाइट का ध्यान रखें। ऐसे में किडनी को हेल्दी रखने के लिए आप अपनी डाइट में कुछ हेल्दी फूड को शामिल कर सकते हैं।
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फैटी फिश
सैल्मन, मैकेरल, जैसे फैटी फिश किडनी के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर फैटी फिश शरीर में सूजन को कम करने और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। आपको बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर किडनी डैमेज करने का एक बड़ा कारण होता है। साथ ही फैटी फिश किडनी की क्षमता को बढ़ाने और हार्ट की बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करता है। आप हफ्ते में 1 से 2 बार ग्रिल्ड या बेक्ड फैटी फिश खा सकते हैं।
सेब
फाइबर से भरपूर सेब भी किडनी के लिए अच्छा माना जाता है। ये डाइजेशन सिस्टम को बेहतर बनाता है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही इसमें मौजूद पोटैशियम, किडनी पेशेंट्स के लिए अच्छा होता है। हर रोज नाश्ते में एक सेब खाने से आपको कई सारे फायदे हो सकते हैं।
लहसुन
लहसुन नेचुरल डिटॉक्स एजेंट से भरपूर होता है। ये किडनी की सेहत को बेहतर करने में मदद करता है। ये शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर लहसुन कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को भी कम करता है, जिससे किडनी पर प्रेशर नहीं पड़ता है। आप सुबह खाले पेट 1 से 2 कच्ची लहसुन की कलियां चबा सकते हैं या फिर सब्जियों में मिलाकर खा सकते हैं।
ब्रोकली
ब्रोकली फाइबर, विटामिन C, K और कई एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। ब्रोकली में पाए जाने वाले पोषक तत्व किडनी को डिटॉक्स करने और सेल्स को नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। साथ ही ये बॉडी में सूजन को भी कम करता है, साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, इससे किडनी में इंफेक्शन से बचा जा सकता है। ब्रोकली को आप उबालकर, हल्का स्टीम करके या ब्रोकली की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
ब्लूबेरी
ब्लूबेरी किडनी के लिए सुपर फूड माना जाता है। इसमें एंथोसायनिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है, जो सूजन को कम करने और किडनी को डैमेज से बचाने में मदद करते हैं। ब्लूबेरी शुगर लेवल को भी कंट्रोल करता है, जिससे डायबिटिक किडनी डिजीज के खतरे को कम किया जा सकता है। आप ब्लूबेरी स्मूदी बनाकर या इसे दही के साथ नाश्ते में खा सकते हैं।
किडनी से जुड़ी बीमारियां
किडनी का खराब होना- जब किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और शरीर से वेस्ट और एक्सट्रा पानी नहीं निकाल पाती, तो इसे किडनी फेलियर हो सकता है। इसके कारण शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं, जिससे शरीर में अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस- ये एक सूजन है जो किडनी के फिल्टरिंग इकाइयों, जिसे ग्लोमेरुली कहा जाता है, में होती है। ये बीमारी जीन या इम्यून सिस्टम की समस्याओं के कारण हो सकती है। इससे किडनी कमजोर हो सकती है।
किडनी स्टोन- किडनी स्टोन तब होते हैं जब किडनी में मिनरल्स और सॉल्ट जमा होकर ठोस रूप ले लेते हैं। यह बहुत दर्दनाक हो सकता है, खासकर जब स्टोन पेशाब नली से होकर बाहर निकलता है।
हाई ब्लड प्रेशर- लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर किडनी पर दबाव डालता है और इससे किडनी की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है। यह किडनी की बीमारियों का कारण बन सकता है।
डायबिटीज- डायबिटीज किडनी के खराब होने का एक सामान्य कारण है। जब ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल नहीं रहता, तो यह किडनी के फिल्टरिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है, जिसे डायबेटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं।
किडनी सिस्ट- इस दौरान किडनी में लिक्विड से भरे हुए थैले बन सकते हैं, जिन्हें किडनी सिस्ट कहा जाता है। ये सिस्ट आमतौर पर बिना लक्षणों के होते हैं, लेकिन कभी-कभी ये किडनी को कमजोर बना सकते हैं।
पोलिसिस्टिक किडनी रोग- यह एक जेनेटिक बीमारी है, जिसमें किडनी में कई सिस्ट बन जाते हैं। समय के साथ ये सिस्ट किडनी के आकार को बढ़ा सकते हैं और साथ ही उसे कमजोर बना सकते हैं।
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