Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना हर व्यक्ति का सपना होता है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इसकी ऊंचाई, ज्यामितीय आकार और चार पवित्र नदियों गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सतलुज का उद्गम स्थल होने के कारण यह पर्वत वैज्ञानिकों और आस्थावानों दोनों के लिए रहस्य का विषय है। यहां की शांति, वातावरण और दिव्यता मन को एक अलग ही शांति का अनुभव कराती है। यह स्थल केवल हिंदू धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्म के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। कैलाश की परिक्रमा करना पुण्य का कार्य माना जाता है और कहा जाता है कि इससे जन्मों के पाप कट जाते हैं। तो आइए जानते हैं कैलाश मानसरोवर की कुछ खास विशेषताएं जो इसे दुनियाभर में अद्वितीय बनाती हैं।
भगवान शिव का निवास स्थान
कैलाश मानसरोवर पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का घर माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शिवजी यहां समाधि में लीन रहते हैं और यह पर्वत स्वयं ऊर्जा का स्रोत है।
चार पवित्र नदियों का उद्गम स्थल
कैलाश मानसरोवर पर्वत से एशिया की चार प्रमुख नदियां गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सतलुज उत्पन्न होती हैं। माना जाता है कि एक ही स्थान से इन चार नदियों का निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
सभी धर्मों के लिए पवित्र स्थल
कैलाश मानसरोवर न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी अति पावन स्थल है। जैन धर्म में इसे प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की मोक्ष स्थली माना गया है।
परिक्रमा का विशेष महत्व
ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर्वत की 52 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। इसके साथ ही आत्मा की शुद्धि होती है। बहुत से लोग इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मानते हैं।
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