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Millet: हार्ट अटैक और डायबिटीज से बचना है तो बाजरा खाइए, मोटापा घटाने में भी कारगर

Millet: इंसानों ने जब खेती करना शुरू किया, तो सबसे पहले बोई जाने वाली फसलों में से एक बाजरा यानी Millet था। सिंधु-सरस्वती सभ्यता (3,300 से 1300 ईसा पूर्व) के दौरान मोटे अनाज का सेवन किया जाता था। लेकिन समय बीतने के साथ यह खेती लुप्त होती चली गई। एक बार फिर से मोदी सरकार […]

घटते भूजल स्तर को देखते हुए बाजरे की खेती उपयुक्त है। इसकी ज्यादा सिंचाई नहीं करनी पड़ती है।
Millet: इंसानों ने जब खेती करना शुरू किया, तो सबसे पहले बोई जाने वाली फसलों में से एक बाजरा यानी Millet था। सिंधु-सरस्वती सभ्यता (3,300 से 1300 ईसा पूर्व) के दौरान मोटे अनाज का सेवन किया जाता था। लेकिन समय बीतने के साथ यह खेती लुप्त होती चली गई। एक बार फिर से मोदी सरकार इसके प्रचार-प्रसार पर जोर दिया है। इसके उत्पादन और खपत को पूरी दुनिया में फैलाना चाहती है। कारण, बाजरा में चावल-गेहूं से कहीं अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। यही वजह है कि भारत की सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है। दुनिया भर में बाजरा की लगभग 6,000 किस्में हैं। सोरघम (ज्वार), पर्ल मिलेट (बाजरा), फिंगर मिलेट (रागी या नचनी), ब्राउन टॉप (सामा), कोडू (आर्क), प्रोसो (चेना/बर्र), बार्नयार्ड (सनवा), और फॉक्सटेल मिलेट (कोरा) प्रमुख हैं। अब आइए जानते हैं कि बाजरा स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है? इसकी खेती कितनी आसान है? मौजूदा समय में उत्पादन कितना है? इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकारी नीतियां क्या हैं? और इसका भविष्य क्या है?

फसल की सिंचाई कम और गेहूं-चावल से लागत भी कम

2007 और 2017 के बीच भारत के भूजल में 61 प्रतिशत की गिरावट आई है। घटते भूजल स्तर को देखते हुए बाजरे की खेती उपयुक्त है। इसकी ज्यादा सिंचाई नहीं करनी पड़ती है। बाजरा की खेती में चावल और गेहूं की बोआई जैसी लागत भी नहीं लगती है। लेकिन ज्यादा उत्पादन पाने के लिए किसान हाईब्रिड फसलों की तरफ रुख कर गए। नतीजा 1972-1973 और 2004-2005 के बीच बाजरा की खपत शहरी क्षेत्रों में 67 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 59 प्रतिशत तक गिर गई। और पढ़िए –Happy Chocolate Day: पार्टनर को करना है खुश? घर पर बनी डार्क चॉकलेट से करें इम्प्रेस, जानें रेसिपी

2015 से 2020 के बीच बढ़ा उत्पादन

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी ने 1983 में भारत की अनाज की जरूरत का 23 प्रतिशत प्रदान किया, लेकिन 2011 में केवल 6 प्रतिशत। बाजरे की खपत को बढ़ाने के लिए सरकार ने 2018 को बाजरा का राष्ट्रीय वर्ष नामित किया। नतीजा बाजरे का उत्पादन 2015-2016 में 14.52 मिलियन टन से बढ़कर 2020-21 में 17.96 मिलियन टन हो गया।

पाचन तंत्र के लिए मुफीद है बाजरा

बाजरा यह ग्लूटेन मुक्त होता है और पाचन तंत्र के लिए काफी मुफीद है। हमें हृदय रोगों और मधुमेह से भी बचाता है। बाजरा में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन अधिक होता है। यह इम्युन सिस्टम मजबूत करने, वजन घटाने में सहायक है। बाजरा अस्थमा को कम करने के साथ माइग्रेन को भी कम करता है। यह शरीर के भीतर मौजूद अशुद्धियों को भी दूर करता है।

सरकार ने घोषित किया था न्यूट्री अनाज

10 अप्रैल, 2008 को बाजरा को सरकार ने 'न्यूट्री अनाज' की श्रेणी में रखा था। हाल ही में होने वाले G-20 देशों के सम्मेलन में भी बाजरा को रखा गया है। साथ ही सभी मंत्रालयों, राज्य सरकार और भारतीय दूतावासों को बाजरे की खेती और उत्पादन बढ़ाने के लिए एक महीना समर्पित करने के लिए कहा गया है। देश में कई बाजरा केंद्रित सेंटर भी बनाए गए हैं। यह भी पढ़ेंHealthy Diet: आखिरी क्यों खानी चाहिए बाजरा रोटी? ये 5 फायदे आपको हैरान कर देंगे, जानिए और पढ़िए – लाइफस्टाइल से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


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