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Holi 2025: भारत में इन 5 जगहों पर नहीं मनाई जाती होली, जानिए क्यों

Holi 2025: भारत में होली एक प्रमुख त्योहार है और लगभग पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन कुछ स्थानों पर धार्मिक, सांस्कृतिक या ऐतिहासिक कारणों से इसे नहीं मनाया जाता या फिर बहुत सीमित रूप में मनाया जाता है।

Author Edited By : Shivani Jha Updated: Mar 5, 2025 16:22
Holi 2025
Holi 2025

Holi 2025: होली एक ऐसा त्योहार है जो लगभग हर किसी को पसंद जरूर आता है और इसे खासकर के मार्च महीने में ही मनाया जाता है। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक है। लोग इस दिन अपने परिवार  साथ रंगों से खेलने और टेस्टी खाने का आनंद लेते हुए इस त्योहार को मनाते हैं। जैसे-जैसे ये त्यौहार पास आता है चारो तरफ रंगों और संगीत की आवाज से भर जाती है। इसके अलावा ये त्योहार लोगों को एक साथ लाता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं भारत में कई जगहों पर होली नहीं मनाई जाती है और वहां के लोग होली वाले दिन भी बेरंग ही रह जाते हैं। आइए जानते हैं ऐसी कौन-कौन सी जगह है जहां पर होली न बनाए जाने का रिवाज है…

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग के क्विली और कुरझन गांवों में स्थानीय किंवदंती के कारण होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। माना जाता है कि यहां की देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर पसंद नहीं है। इसलिए यहां के लोग शोरगुल से दूर रहते हैं। इस वजह से यहां के लोग होली के दिन बेरंग ही रहते हैं और शोरगुल से दूर रहना पसंद करते हैं। ऐसे माना जाता है यहां पर अन्य दिनों में भी पूजा के दौरान ढ़ोल-नगाड़े नहीं बजाया जाते हैं। वे शांत श्रद्धा पर ध्यान केंद्रित कर पूजा करते हैं।

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दक्षिण भारत

तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में होली पारंपरिक रूप से मनाई जाता है न की उत्तर भारत की तरह उत्साह से के साथ। इसके बजाय, इस दिन को मासी मागम के रूप में मनाया जाता है, जिसे एक पवित्र अवसर जब माना जाता है कि दिव्य प्राणी और पूर्वज पवित्र जल में स्नान करने के लिए धरती पर उतरते हैं। वहां के लोग होली पर एक अनूठा और सांस्कृतिक रूप से अलग उत्सव के रूप में मनाते हैं।

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रामसन गांव, गुजरात

गुजरात के बनासकांठा जिले का रामसन गांव होली के शांत रहता है। 200 से भी ज्यादा सालों से ये गांव एक पूर्व राजा के गलत आचरण से नाराज संतों के श्राप के कारण होली के त्योहार से दूर रहता है। भगवान राम के नाम पर रामेश्वर नाम से मशहूर इस अनोखे गांव में अब होली के दिन सन्नाटा पसरा रहता है, जो बाकी जगहों पर होने वाले उल्लासपूर्ण त्योहारों से बिलकुल अलग है।

पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्र

नागालैंड, मिज़ोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में होली का प्रचलन नहीं है। इन राज्यों की जनसंख्या में ईसाई धर्म के ज्यादा होने के कारण वहां होली कम मनाई जाती है। हालांकि, असम और त्रिपुरा में कुछ समुदाय इसे मनाते हैं।

धार्मिक स्थलों और कुछ समुदायों

जैन समुदाय के कई लोग होली नहीं मनाते, क्योंकि वे अहिंसा और संयम को अधिक महत्व देते हैं। सिख धर्म के कुछ अनुयायी होली को पारंपरिक रूप से नहीं मनाते, लेकिन आनंदपुर साहिब में होल्ला मोहल्ला के रूप में इसका अलग रूप देखने को मिलता है। वहीं काशी में कुछ साधु-संन्यासी होली नहीं खेलते और इसे भौतिक दुनिया के आकर्षण से दूर रहते हैं।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।  

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Edited By

Shivani Jha

First published on: Mar 05, 2025 04:22 PM

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