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भारत में बनेंगे ‘बिना परीक्षा IAS ऑफिसर’, क्या विदेशों में भी है इस तरह का सिस्टम?

Lateral Entry IAS: इन दिनों लेटरल एंट्री की काफी चर्चा है, कांग्रेस समेत कई पार्टियां इससे हो रही नियुक्तियों का विरोध करते दिख रही हैं। आखिर क्या होता है लेटरल एंट्री सिस्टम, क्या भारत के अलावा भी दूसरे देशों में इस तरह से नियुक्तियां की जाती है?

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Aug 19, 2024 15:57
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Lateral Entry

Lateral Entry: हमारे देश में IAS की परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षा के तौर पर देखा जाता है। हर साल लाखो छात्र इसकी परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन कुछ इस इम्तेहान को पास कर पाते हैं। लेकिन इन दिनों ‘बिना परीक्षा IAS’ बनने का मुद्दा पर चर्चा हो रही है। कई पार्टियां इस सिस्टम का विरोध कर रही हैं तो BJP इसके सपोर्ट में बोलती नजर आ रही है। हाल ही में विपक्ष के विरोध के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री (सीधी भर्ती) का विचार UPA सरकार के समय में आया था. क्या आप जानते हैं कि ये सिर्फ भारत में ही है या फिर विदेशों में भी इस तरह का सिस्टम होता है?

क्या है लेटरल एंट्री प्रोसेस

एक तरफ UPSC की तैयारी में लगे रहते हैं ताकि वो IAS अफसर बन सकें। अब देश में बात हो रही है लेटरल एंट्री प्रोसेस की। इस प्रोसेस में सीधे तौर पर समझें तो इसके जरिए उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है जिन पद पर आईएएस रैंक के अफसरों की तैनाती होती है। जिसमें मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में सीधे उपसचिव यानी ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी के पद शामिल हैं। इसमें नौकरी पाने वाले निजी क्षेत्रों से अलग अलग सेक्टर के एक्सपर्ट्स होते हैं जिनको सरकार नौकरी देती है। इसमें कोई परीक्षा दिए बिना ही सीधे इंटरव्यू के बेस पर भर्ती होती है। इस तरह की 45 नियुक्तियों की चर्चा है।

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विदेशों में क्या है सिस्टम

अमेरिका की बात करें तो वहां पर ई पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती की जाती है, यहां पर लेटरल एंट्री सिस्टम को जरूरी माना जाता है। अलग अलग पदों के लिए कई एक्सपर्ट्स इसमें आवेदन करते हैं। US Department of State की तरफ से लेटरल एंट्री पायलट प्रोग्राम का ऐलान भी किया गया है।

अब कनाडा में लेटरल एंट्री प्रोग्राम को देखें तो यहां एजुकेशन में भी कुछ कोर्स में सीधी एंट्री दी जाती है। यूके लेटरल एंट्री के जरिए SCS मुमकिन है, लेकिन वहां पर अभी इनकी संख्या उतनी ज्यादा नहीं है। लेटरल एंट्री लेने वाले उम्मीदवारों को प्राइवेट सेक्टर में अच्छा अनुभव होना जरूरी होता है। यूके और भारत में सिविल सर्विसेज का सिस्टम लगभग एक जैसा ही है।

अमेरिका में लैटरल एंट्री सिस्टम काफी आम है और यहां तक ​​कि वहां डिफेंस में भी इससे नियुक्तियां होती हैं. इसमें दूसरे देशों के रक्षा विशेषज्ञों का भी चयन किया जाता है. भारत के यूपीएससी की तरह ऑस्ट्रेलिया लोक सेवा आयोग भी है, जिसके माध्यम से भी लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती की जाती है। इसी तरह कई देशों में इसे सिस्टम में शामिल किया गया है.

क्या हैं इसके फायदे

अब बात करते हैं इस सिस्टम के फायदों की, एक्सपर्ट लेटरल एंट्री को च्छा बताते हैं। उनका मनना है कि ये सिस्टम को मजबूत करने का काम करता है। इससे सरकार के पास एक्सपर्ट और अनुभव दोनों ही इससे मिल जाता है। इसके जरिए काम में बेहतर सुधार किए जा सकते हैं। इसके अलावा इंटरव्यू में केवल वो ही लोग चुने जाते हैं जो अच्छा अनुभव रखते हों। इससे अधिकारियों की नियुक्ति जल्दी होती है साथ ही कामों में भी तेजी आती है, क्योंकि वो लोग पहले से अपने काम में महारत हासिल किए होते हैं।

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News24 हिंदी

First published on: Aug 19, 2024 03:56 PM

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