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दिल्ली के बाद हरियाणा में भी छिड़ा विवाद, कुत्तों की निगरानी के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगाने पर अनुराग ढांडा ने बीजेपी पर साधा निशाना

दिल्ली के बाद हरियाणा में भी शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती और निगरानी की ड्यूटी देने पर सियासी और शैक्षणिक विवाद गहरा गया है. कैथल में शिक्षक विरोध में धरने पर बैठे हैं. AAP नेता अनुराग ढांडा ने BJP सरकार पर शिक्षा व्यवस्था की अनदेखी और शिक्षकों के अपमान का आरोप लगाया है.

Author Edited By : Bhawna Dubey
Updated: Dec 30, 2025 15:41

दिल्ली के बाद अब हरियाणा में भी शिक्षकों की ड्यूटी कुत्तों की गिनती और निगरानी में लगाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. भाजपा सरकार के इस फैसले के खिलाफ कैथल में शिक्षक धरने पर बैठ गए हैं और खुलकर कह रहे हैं कि वे बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए हैं, न कि कुत्तों और जानवरों की निगरानी के लिए. स्कूलों से लेकर यूनिवर्सिटी तक अध्यापकों पर यह जिम्मेदारी डालना सरकार की शिक्षा विरोधी सोच को उजागर करता है.

इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले यह दिखाते हैं कि भाजपा को न तो शिक्षा की चिंता है और न ही अध्यापकों के सम्मान की. हरियाणा में पहले से ही शिक्षा व्यवस्था बदहाल है, लेकिन सरकार उसकी जिम्मेदारी सुधारने के बजाय शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कामों में झोंक रही है.

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सरकारी आंकड़े खुद सच्चाई बयान करते हैं. हरियाणा में करीब 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, जबकि राज्य में 30 हजार से ज्यादा शिक्षक पद खाली पड़े हैं. लगभग 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं. कई स्कूलों में मे 400 से 500 बच्चों पर केवल एक शिक्षक है. इसके बावजूद कैथल जिला शिक्षा अधिकारी के 24 दिसंबर 2025 के आदेश में हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बना दिया गया. यानी शिक्षक अब कुत्तों की गिनती और रिपोर्टिंग करेंगे.

मामला केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है. रोहतक स्थित महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय में भी 24 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी दे दी गई. साफ है कि भाजपा सरकार ने शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई के केंद्र के बजाय प्रशासनिक और निगरानी का अड्डा बना दिया है.

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अनुराग ढांडा ने सवाल उठाया कि जब 70 से 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में स्थायी चौकीदार तक नहीं हैं, जब कई जगह एक चौकीदार को दो- तीन स्कूलों की जिम्मेदारी दी गई है और स्कूल रात में पूरी तरह असुरक्षित रहते हैं, तब सरकार अध्यापकों पर यह बोझ क्यों डाल रही है. अगर सरकार को सच में कुत्तों और जानवरों की समस्या की चिंता है, तो हर स्कूल और कॉलेज में पाली या एनिमल कंट्रोल स्टाफ की सरकारी भर्ती क्यों नहीं निकाली जाती.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को यह तय करना होगा कि हरियाणा में अध्यापक पढ़ाएं या कुत्तों की निगरानी करें. भाजपा सरकार ने अध्यापकों को बीएलओ, चौकीदार और अब कुत्तों का रखवाला बनाकर शिक्षक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है. यह फैसला सिर्फ शिक्षकों का नहीं, बल्कि हरियाणा के लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.

आम आदमी पार्टी ने साफ कहा है कि इस काम के लिए अलग से सरकारी भर्ती निकाली जाए और अध्यापकों का अपमान तुरंत बंद किया जाए. शिक्षा को बोझ और अध्यापकों को मजबूर मजदूर समझने वाली यह सोच हरियाणा की जनता अब और बर्दाश्त नहीं करेगी.

First published on: Dec 30, 2025 03:39 PM

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