मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जीरो नंबर पते को लेकर बड़ा बयान दिया है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि नए वोटर बनने के दौरान कई बार पंचायत और निकाय वोटरों को एक पते पर जीरो नंबर दे देता है। साथ ही शहर में अनाधिकृत कॉलोनी होती हैं। इन कॉलोनियों में मकान नंबर नहीं होते हैं। ऐसे में बीएलओ पते वाले कॉलम में जीरो नंबर डालते हैं। अगर उन्हें बाद में नंबर मिलता है तो वो उसे अपडेट भी कर देते हैं।
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डुप्लीकेट EPIC दो तरह से हो सकते हैं
उन्होंने कहा कि डुप्लीकेट EPIC दो तरह से हो सकते हैं। एक, पश्चिम बंगाल में रहने वाले किसी व्यक्ति का EPIC नंबर एक हो और हरियाणा में रहने वाले किसी अन्य व्यक्ति का EPIC नंबर भी वही हो। मार्च 2025 के आसपास जब यह सवाल उठा, तो हमने इस पर चर्चा की और पूरे देश में इसका समाधान किया। लगभग 3 लाख लोग ऐसे मिले जिनके EPIC नंबर एक जैसे थे, इसलिए उनके EPIC नंबर बदल दिए गए।
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SIR प्रक्रिया का कुछ लोग कर रहे हैं भ्रामक प्रचार
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कुछ लोग भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कि SIR प्रक्रिया इतनी जल्दी क्यों की जा रही है? मतदाता सूची में सुधार चुनाव से पहले होना चाहिए या बाद में? यह चुनाव आयोग नहीं कह रहा है, बल्कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कहता है कि हर चुनाव से पहले मतदाता सूची में सुधार करना अनिवार्य है।
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7 करोड़ मतदाताओं तक पहुंचा चुनाव आयोग
उन्होंने आगे कहा कि यह चुनाव आयोग की कानूनी जिम्मेदारी है। फिर सवाल उठा कि क्या चुनाव आयोग बिहार के 7 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंच पाएगा? सच तो यह है कि यह काम 24 जून को शुरू हुआ और पूरी प्रक्रिया लगभग 20 जुलाई तक पूरी हो गई। इस पूरे मामले में झूठ बोला जा रहा है। जब उन लोगों से सबूत मांगे तो वह दिखा नहीं पाए। मतदाताओं को गुमराह किए जाने काम किया जा रहा है। ऐसे लोगों को देश से माफी मांगनी चाहिए।