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कभी 10000 महीना कमाने वाले विजय शेखर शर्मा कैसे बने अरबपति? पढ़िए Paytm के संस्थापक का सफर

 Paytm Founder Vijay Shekhar Sharma: पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक से इस्तीफा दे दिया है। इस रिपोर्ट में जानिए कैसे उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक आम से परिवार में जन्म लेने वाले विजय शेखर ने कैसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं और देश के सबसे प्रसिद्ध कारोबारी शख्सियतों में शामिल हुए।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Feb 27, 2024 12:05
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Vijay Shekhar Sharma Addressing An Event
पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा (एएनआई)

Paytm Founder Vijay Shekhar Sharma : पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने सोमवार को पेटीएम पेमेंट्स बैंक के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और बोर्ड मेंबर के पद से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि उनकी कंपनी इस समय नियामकीय चुनौतियों का सामना कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बीते दिनों की पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 15 मार्च कर काम बंद करने का आदेश दिया है। इस्तीफे का ऐलान करते समय विजय शेखर शर्मा की आंखों में आंसू छलक आए थे।

कौन हैं विजय शेखर शर्मा?

विजय शेखर शर्मा पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस के संस्थापक, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी को लेकर अनोखा रुख रखने वाले शर्मा न केवल देश में लेन-देन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आए थे बल्कि देश की सबसे प्रख्यात और प्रभावशाली कारोबारी शख्सियतों में भी शामिल हुए। उनका जन्म 7 जून 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था। उनके पिता सुलोम प्रकाश एक स्कूल टीचर थे और मां आशा शर्मा एक गृहिणी थीं।

19 की उम्र में बीटेक किया

शर्मा ने महज 15 साल की उम्र में कॉलेज की पढ़ाई शुरू की थी और 19 साल की उम्र में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी) से बीटेक की डिग्री पूरी की थी। पूत के पांव पालने में दिखाई देने वाली कहावत विजय शेखर शर्मा पर एकदम सटीक बैठती है। साल 1997 में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने इंडियासाइट डॉट नेट नाम की वेबसाइट शुरू की थी। बता दें कि दो साल के अंदर ही उन्होंने इस वेबसाइट को 10 लाख डॉलर में बेच दिया था।

2000 में बनाई थी वन97

साल 2000 में विजय शेखर शर्मा ने वन97 कम्युनिकेशंस की स्थापना की थी। यह कंपनी शुरुआत में कुछ मोबाइल कंटेंट सेवाओं की पेशकश करती थी। इनमें न्यूज, क्रिकेट स्कोर, रिंगटोन, चुटकुले और एग्जाम रिजल्ट जैसी सेवाएं शामिल थीं। इसके बाद साल 2010 में उन्होंने एक डिजिटल पेमेंट्स और फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जिसे उन्होंने पेटीएम नाम दिया। इसने भारत में लेनदेन के तरीके को पूरी तरह से बदल कर रख दिया और इसे बेहद आसान बनाने का काम किया।

पेटीएम कैसे बनी लोकप्रिय

पेटीएम का यूजर फ्रेंडली इंटरफेस और तेजी से डिजिटल ट्रांजेक्शन करने के फीचर ने इसे बेहद कम समय में खासा लोकप्रिय बना दिया था। समय के साथ इसकी सेवाओं में विस्तार हुआ और कंपनी मोबाइल रिचार्ज से लेकर बिल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल वॉलेट और डिजिटल बैंकिंग तक की सेवा देने लगी। बता दें कि नवंबर 2021 में पेटीएम पब्लिक हुई थी और इसमे अपना आईपीओ पेश किया था। उल्लेखनीय है कि उस समय यह भारत का सबसे बड़ा आईपीओ बन गया था।

पेटीएम को लेकर विवाद

विजय शेखर की पेटीएम चीन के अलीबाबा ग्रुप की ओर से बड़े निवेश के चलते विवादों में आई थी। कंपनी के आईपीओ से पहले चीनी कंपनी पेटीएम की सबसे बड़ी शेयरधारक (34.7 प्रतिशत) बन गई थी। हालांकि, आईपीओ लाने के समय नियमों के मुताबिक अलीबाबा ग्रुप कगी आंटफिन ने अपनी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत करने के लिए पांच प्रतिशत शेयर बेच दिए थे।

RBI ने क्यों लिया एक्शन

19 जून 2018 को आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर नए अकाउंट और वॉलेट खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पीछे सुपरवाइजरी चिंताओं का हवाला दिया गया था। हालांकि, 27 दिसंबर 2018 को यह रोक हटा दी गई थी। इसके बाद 29 जुलाई 2021 को आरबीआई ने पेटीएम बैंक को फर्जी जानकारी साझा करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

एक अक्टूबर 2021 को आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर एक करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई थी। 10 अक्टूबर 2023 को आरबीआई ने इस पर 5.93 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। आरबीआई के अनुसार कंपनी पेआउट ट्रांजैक्शंस की निगरानी नहीं की थी। इन्हीं नियमों के उल्लंघन के मामले में आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर प्रतिबंध लगाया है।

एंजल इन्वेस्टर भी हैं विजय

विजय शेखर शर्मा न केवल एक सफल उद्यमी हैं बल्कि एक एंजल इन्वेस्टर भी हैं जिन्होंने कई टेक स्टार्टअप की मदद की है। स्टार्टअप इकोसिस्टम में उनके योगदान से भारत में इनोवेशन और उद्यमिता को रफ्तार मिली। बिजनेस के अलावा वह दिल्ली में स्थित नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के मैनेजमेंट बोर्ड का हिस्सा भी हैं। इसके साथ ही उन्हें कई अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया है। साल 2015 में उन्हें सीईओ ऑफ द इयर और 2016 में यश भारती पुरस्कार से नवाजा गया था।

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Written By

Gaurav Pandey

First published on: Feb 27, 2024 10:26 AM

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