ट्रम्प टैरिफ लागू होने के बाद निर्यात करने वाले देशों में खलबली मची हुई है। इन सभी के बीच भारत इससे ज्यादा दबाव में नहीं है। दरअसल भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पिछले करीब 2 महीने से दी जा रही धमकी के बीच ही अपने लिए नए बाजार ढूंढना शुरू कर दिया था। इस बीच ट्रंप का टैरिफ भी बढ़कर 50% पहुंच गया, जो अब लागू हो गया।
भारत ऐसे बाजारों को ढूंढ रहा है कि जहां भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ का असर न हो। जिससे की अमेरिकी बाजार में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। इसके अलावा हाल ही में जीएसटी में भी बदलाव किए गए हैं। इससे घरेलू बाजार में माल की खपत ज्यादा होगी। साथ ही घरेलू और विदेशाी बाजार में सस्ती वस्तुएं होने से मांग ज्यादा बढ़ जाएगी। पूर्व में PHDCCI के मुख्य अर्थशास्त्री और अब एक आर्थिक थिंक टैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री एसपी शर्मा के अनुसार, शायद यही एक कारण था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी सुधारों की घोषणा की।
ऐसे होगी अमेरिकी बाजार में होने वाले नुकसान की भरपाई
उनके अनुसार, सबसे पहले, जीएसटी को सरल बनाने से निर्यातकों को भी मदद मिलेगी, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उनकी लागत और बिक्री मूल्य में कमी आएगी, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि घरेलू निर्माता घरेलू मांग में वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। जीएसटी एक उपभोग कर है, इसलिए जब इसे कम किया जाएगा, तो मांग बढ़ेगी और इससे यहां के उद्योग को मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इससे निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि भारत के पास अन्य बाजार भी हैं जिन पर हम विचार कर सकते हैं, जहां हमारे निर्यात का मूल्य कमोबेश उतना ही है जितना हम अमेरिकी बाजार को निर्यात करते हैं।
इन देशों के बाजारों पर भारत की नजर
अर्थशास्त्री एसपी शर्मा के अनुसार, इसका मतलब है कि भारत को नए बाजारों में विस्तार करने के अपने प्रयासों को बढ़ाना होगा और इससे निश्चित रूप से देश को लंबे समय में मदद मिलेगी। वर्तमान में भारत अमेरिकी बाजार को 86 अरब डॉलर का निर्यात करता है, लेकिन साथ ही, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, ब्राजील, मैक्सिको, इटली जैसे देशों को हमारा निर्यात अमेरिका को होने वाले निर्यात से अधिक है और यह अच्छी गति से बढ़ रहा है। साथ ही भारत पहले से ही ब्रिटेन और फ्रांस जैसे नए बाज़ारों पर नज़र गड़ाए हुए है, जहां व्यापार समझौते पर काम चल रहा है।
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अन्य बाजारों में बढ़ रहा है निर्यात
उन्होंने कहा कि ट्रंप का टैरिफ एक तरह से नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन भारत के लिए ये सुनहरा अवसर है। दरअसल ट्रंप के टैरिफ की धमकी के बीच भारत ने अन्य देशों के बाजारों में निर्यात बढ़ाया है। अन्य बाजारों में हमारा प्रतिवर्ष निर्यात 20% से ज्यादा रहा है। वहीं अमेरिका को होने वाले निर्यात में 15% की वृद्धि हो रही है।
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7 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ेगा
IIT मद्रास के पूर्व छात्र, IIT मद्रास एंटरप्रेन्योर्स फाउंडेशन के सदस्य और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ गणपति रामचंद्रन ने कहा कि अमेरिकी बाजार के लिए ट्रंप के टैरिफ नुकसानदेह हैं। ,लेकिन भारतीय निर्यातकों के लिए दुनिया काफी बड़ी है। रामचंद्रन ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, 7 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ेगा, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.3 प्रतिशत है। शायद यही वजह है कि सरकार इस टैरिफ का इतना लोड नहीं ले रही है।
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SCO की बैठक में उठ सकता है टैरिफ का मुद्दा
एक पूर्व नौकरशाह का कहना है कि अमेरिका भारत के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करने की पूरी कर रहा है और भविष्य में भी करता रहेगा, लेकिन हमारी जनसख्ंया और घरेलू खपत हमें झुकने नहीं देंगे। वहीं अगस्त अंत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर बैठक होनी है। बैठक में रूस के व्लादिमीर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग भाग लेंगे। भारत पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव की पृष्ठभूमि में आयोजित होने के कारण यह मुद्दा शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं के बीच चर्चा के दौरान उठ सकता है।
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