Justin Trudeau on backfoot due to India’s ultimatum: कनाडा और भारत के बीच खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर तनाव जारी है। भारत ने कनाडा को 10 अक्टूबर तक अपने डिप्लोमैट्स वापस बुलाने के लिए अल्टीमेटम दिया था। ऐसे में तारीख नजदीक आ रही है। जानकारी के अनुसार अगर कनाडा ने अपने राजनयिकों को नहीं बुलाया तो उनकी छूट खत्म कर दी जाएगी। बता दें कि फिलहाल भारत में कनाडा के 62 राजनियक मौजूद है इनमें से 41 को वापस बुलाने के लिए कहा है।
कनाडा ने अपने राजदूतों को भेजा भारत से सिंगापुर मलेशिया
सीटीवी न्यूज ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों की संख्या के बराबर कनाडाई राजनयिकों को कम करने के लिए कहा है। दिल्ली के बाहर भारत में काम करने वाले अधिकांश कनाडाई राजनयिकों को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर और सिंगापुर ले जाया गया है। बता दें कि ग्लोबल अफेयर्स कनाडा ने कुछ पहले कहा था कि भारत में उनके कुछ राजनयिकों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर धमकियां मिली हैं। इसके बाद कनाडा ने अपने अत्यधिक सावधानी बरतते हुए राजनियकों की उपस्थिति को अस्थायी रखने का फैसला किया था।
भारत और कनाडा में दोनों के राजनयिकों की संख्या हो बराबर
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि कनाडाई अधिकारियों को छोड़ने के लिए चर्चा की गई थी। इसके बाद उन्हें इसके लिए बहुत समय दिया गया था। कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक उपस्थिति और हमारे आंतरिक मामलों में उनके निरंतर हस्तक्षेप और अपनी-अपनी राजनयिक उपस्थिति को समानता करने के लिए ये फैसला लिया गया है। जब इस सप्ताह की शुरुआत में कनाडाई राजनयिकों को कम करने की भारत की मांग की पहली रिपोर्ट सामने आई, तो प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री मेलानी जोली ने उनकी पुष्टि नहीं की, उन्होंने जोर देकर कहा कि वे “बेहद चुनौतीपूर्ण समय” को ध्यान में रखते हुए, भारत के साथ और अधिक तनाव नहीं चाहते हैं।
भारत के साथ काम करने के लिए राजनयिकों का होना जरूरी
वहीं, बीते मंगलवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संवाददाताओं से कहा कि हमारे लिए भारत सरकार के साथ काम करने वाले राजनयिकों का होना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें कनाडाई और कनाडाई परिवारों का समर्थन करना है। हम इसे बेहद गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन हम भारत सरकार के साथ जिम्मेदारी से जुड़े रहेंगे।