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Exit Polls: सत्ता विरोधी लहर और फार्म हाउस सीएम, केसीआर को क्यों खारिज कर सकती है जनता? समझें समीकरण

Telangana Assembly Elections 2023 Exit Poll Results: आखिर क्या वजह है कि जनता केसीआर और बीआरएस को खारिज कर सकती है, आइए जानते हैं।

Telangana Assembly elections 2023 exit poll results
Telangana Assembly Elections 2023 Exit Poll Results: तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव के बाद देर शाम एग्जिट पोल के नतीजे भी आ गए। इसमें सत्ता पर काबिज सीएम केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस को नुकसान होता नजर आ रहा है। जबकि कांग्रेस को बहुमत ​मिलता दिख रहा है। एग्जिट पोल में 119 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 71, बीआरएस को 33 और बीजेपी को 7 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। आखिर क्या वजह है कि जनता केसीआर और बीआरएस को खारिज कर सकती है, आइए जानते हैं सियासी समीकरण...

सत्ता विरोधी लहर, बीआरएस के खिलाफ नाराजगी

यदि एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित होते हैं तो ये माना जाना चाहिए कि तेलंगाना में पूरी तरह से सत्ता विरोधी लहर रही। पिछले कुछ समय से इसकी हवा चल रही थी। बड़ी वजह बीआरएस के नेताओं का अहंकार और अप्रत्याशित रूप से अमीर हो जाना रहा। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीआरएस के पार्टी कार्यालय बड़े बंगलों में तब्दील हो चुके हैं। जनता का मानना है कि उन्हें धरती पर लाने की जरूरत है। स्थानीय नेताओं के प्रति सत्ता विरोधी लहर बीआरएस के खिलाफ काफी नाराजगी पैदा कर रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि तेलंगाना एक जन आंदोलन से उभरा है। स्थानीय नेतृत्व पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप लोगों को पसंद नहीं आए। केसीआर सरकार के कई प्रोजेक्ट्स में भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं।

फार्म हाउस सीएम

केसीआर पर 'फार्म हाउस सीएम' होने के आरोप लगते रहे हैं। लोगों का मानना है कि केसीआर और उनके नेता फार्म हाउस से सत्ता चला रहे हैं। जनता के प्रति उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही है। उनके बेटे केटी रामा राव पर भी दमन तंत्र खड़ा करने के आरोप लगते रहे हैं। दूसरी ओर बीआरएस के कई विधायक भ्रष्टाचार और अहंकार के कारण लोगों के मन से उतर गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी केसीआर पर फार्महाउस सीएम को लेकर तंज कसा था। जनता का मानना है कि तेलंगाना की सत्ता केसीआर के परिवार के हाथों में केंद्रित है। कोप्पा राव सिंचाई परियोजना को तो 'केसीआर के परिवार का एटीएम' तक कहा गया।

कांग्रेस को फायदा क्यों?

जब बीजेपी ने ग्रेटर हैदराबाद नगर परिषद चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और दुब्बाक सीट जीती, तो यह केसीआर के खिलाफ गुस्से की एक अभिव्यक्ति थी। जिसका फायदा बीजेपी ने उठाया, लेकिन अब जब कांग्रेस ने बीजेपी पर केसीआर के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर खुद को प्रमुख पार्टी के रूप में स्थापित कर लिया है, तो सत्ता विरोधी लहर के कारण उसे फायदा हो सकता है। स्थानीय स्तर पर यह धारणा भी है कि बीआरएस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) बीजेपी के साथ मिले हुए हैं। 2018 में बीआरएस ने 46.9% वोट शेयर के साथ 119 में से 88 सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी। जबकि कांग्रेस को 19 और 28.4% वोट शेयर मिला था। कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही। अब कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता हासिल करती नजर आ रही है।

भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव 

मलकाजगिरि के सांसद अनुमला रेवंत रेड्डी जून 2021 जून में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। रेड्डी की छवि आक्रामक प्रचार शैली और धारदार बयान वाले नेता की है। उन्हें बीआरएस और के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) का धुर विरोधी माना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने पार्टी के भीतर नई ऊर्जा का संचार कर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में सफलता हासिल की है। पिछले साल राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। यह यात्रा लगभग दो हफ्ते तक तेलंगाना से गुजरी, इसने कार्यकर्ताओं में नया जोश जगाने का काम किया।


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