नई दिल्ली: रेवड़ी कल्चर मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार धन का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर पर करना चाहिए, न कि मुफ्त की योजनाओं को बांटने में। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्री स्कीम और वेलफेयर स्कीम अलग-अलग है। कोर्ट ने कहा कि पैसे का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर पर होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी कल्चर पर केंद्र सरकार को सुझाव भी दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि फ्री की स्कीम देश की स्वास्थ्य, सेहत और अर्थव्यवस्था के सेहत के लिए ठीक नहीं है। इससे पहले पिछली सुनवाई पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव आयोग ने पहले ही इस मामले में दखल दे देता तो ये मामला इतना बढ़ा नहीं होता। मामले पर अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
चुनाव आयोग ने कहा था- हमारे हाथ बंधे हुए हैं
पिछली सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने हलफनामा दायर कर कहा था कि संविधान की व्यवस्थाओं के अनुसार हमारे हाथ बंधे हुए हैं। उधऱ, केंद्र सरकार भी इस मामले में पल्ला झाड़ते दिख रही थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप ऐसे इस मामले से पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं। इसके बाद केंद्र सरकार ने कहा कि वो इस मामले में कानून लाने, कानून बनाने पर विचार कर रहा है। केंद्र सरकार के इस बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले पर कानून बनाने के पक्ष में नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुफ्त की घोषणाएं बिलकुल गलत हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि मुफ्त की घोषणाएं बिलकुल गलत हैं। लेकिन वेलफेयर और देश की सेहत के बीच एक पतली लाइन है, जिसे समझे जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमिटी बनाने का सुझाव दिया था जिसमें सरकारें, वित्त आयोग, चुनाव और तमाम राजनीतिक पार्टियां होंगी।
मुफ्त की योजनाओं से केंद्र और राज्यों के ऊपर 150 लाख करोड़ का कर्ज
मामले को लेकर अर्जी दायर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं से केंद्र और राज्यों के ऊपर 150 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने कहा कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने से राज्य सरकारों के राजस्व को काफी नुकसान हो रहा है, हमने इसपर रोक लगाने की मांग की है।
केजरीवाल ने कहा था- अगर मुफ्त शिक्षा रेवड़ी है, तो गरीब कहां जाएगा..
दिल्ली के सीएम और आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में बुधवार को कहा था कि इस देश में 75वें स्वतंत्रता दिवस के बाद भी अगर लोग कहते हैं कि मुफ्त शिक्षा रेवड़ी है, तो गरीब कहां जाएगा। इससे पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘मुफ्त’ बांटने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। आप ने अपने आवेदन में कहा है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली और मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे ‘मुफ्त उपहार’ नहीं हैं। बल्कि यह असमान समाज में बेहद जरूरी हैं।