नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दुष्कर्म पीड़िता (Rape Victim) के गर्भपात मामलों की सुनवाई में देरी पर चिंता जताया है। कोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात जैसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर तत्काल निपटाया जाना चाहिए। ऐसा न होने से कीमती समय की बर्बादी की होती है। लिहाजा अदालतों को ऐसे मामले में तेजी का रुख अपनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात मामलों को तत्काल निपटाया जाना चाहिए। अदालतों को इसमें तेजी का रुख अपनाना चाहिए। साथ ही, ऐसे ही एक मामले में 26 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की याचिका पर निर्णय में देरी को लेकर गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) को फटकार भी लगाई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि इस मामले में एक-एक दिन की देरी बेहद महत्वपूर्ण है। मामले के लंबित रहने से कीमती वक्त बर्बाद हो गया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों को किसी भी सामान्य मामले की तरह नहीं लेना चाहिए और सुनवाई जल्दी होनी चाहिए। साथ ही सुनवाई स्थगित करने का लापरवाह भी नहीं होनी चाहिए।
दरअसल गुजरात हाई कोर्ट से 25 साल की एक दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट से उसे इसकी अनुमति नहीं मिल सकी। इसके बाद पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। पीड़िता की याचिका पर जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सनुवाई की।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में गुजरात सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है। साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने गुजरात हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से आदेश अपलोड होने के संबंध में भी जानकारी मांगी है। सोमवार को मामले की अगली सुनवाई होगी।
पीड़िता याचिकाकर्ता के सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 7 अगस्त को 25 साल महिला ने गर्भवात की अनुमति के लिए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया। 8 अगस्त को हाईकोर्ट ने गर्भावस्था की स्थिति के साथ-साथ याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य का की जानकारी एक मेडिकल बोर्ड के गठन करने का आदेश दिया और मेडिकल कॉलेज से 10 अगस्त को कोर्ट में अपनी पेश करने का निर्देष दिया।
इसके बाद हाईकोर्ट ने इसे 11 अगस्त को रिकॉर्ड पर लिया, लेकिन इसके बाद मामले को 12 दिन बाद यानी 23 अगस्त को सुनवाई लिए सूचीबद्ध किया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इसके बाद हाईकोर्ट ने 17 अगस्त को बिना कारण बताए उनकी याचिका खारिज कर दी।
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता 27 सप्ताह की गर्भवती है और उसकी गर्भावस्था का 28वां सप्ताह आ जाएगा। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, गर्भावस्था का समापन अभी भी किया जा सकता है।
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