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बांके बिहारी कॉरिडोर पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, मंदिर के फंड का इस्तेमाल करेगी यूपी सरकार

Banke Bihari Temple Corridor: सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए मंदिर फंड के इस्तेमाल की अनुमति देकर उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 500 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना को मंजूरी दे दी। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में संशोधन करते हुए कहा कि मंदिर के आसपास की जमीन खरीदने के लिए मंदिर फंड का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन जमीन देवता यानी श्री बांके बिहारीजी महाराज के नाम से ही खरीदी जाएगी।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 15, 2025 21:59
Banke Bihari Corridor, Supreme Court।
बांके बिहारी कॉरिडोर बनने में होगा मंदिर के फंड का इस्तेमाल।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने वाले श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए मंदिर फंड का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने की भी अनुमति दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये भी शर्त रखी है कि अधिग्रहित भूमि देवता के नाम पर ही पंजीकृत होनी चाहिए।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार की 500 करोड़ रुपये की विकास योजना की जांच करने के बाद बांके बिहारी मंदिर की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि के उपयोग की अनुमति दे दी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें मंदिर के आसपास की जमीन की खरीद पर मंदिर के धन का उपयोग करने पर रोक लगा दी गई थी। पीठ ने कहा, ‘हम उत्तर प्रदेश राज्य को इस योजना को पूरी तरह से लागू करने की अनुमति देते हैं। बांके बिहारीजी ट्रस्ट के पास देवता या मंदिर के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट राशि है। यह इस अदालत की सुविचारित राय है कि राज्य सरकार को प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट राशि का उपयोग करने की अनुमति है।’ साथ ही अदालत ने कहा, ‘हालांकि, मंदिर और कॉरिडोर के विकास के लिए अधिग्रहित भूमि देवता या ट्रस्ट के नाम पर ही होनी चाहिए।’

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‘वैष्णव संप्रदायों के व्यक्तियों को ही रिसीवर के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए’

कोर्ट ने आगे कहा कि ऐतिहासिक मंदिर पुरानी संरचनाएं हैं। उनका उचित रखरखाव और अन्य रसद सहायता की जरूरत होती है। मंदिरों में रिसीवरों की नियुक्ति दशकों से की जाती रही है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रिसीवर नियुक्ति के दौरान कोर्ट यह ध्यान में नहीं रख रहे हैं कि मथुरा और वृंदावन, वैष्णव संप्रदायों के लिए दो सबसे पवित्र स्थान हैं, इसलिए वैष्णव संप्रदायों के व्यक्तियों को ही रिसीवर के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए।

2022 में मंदिर में हुई थी भगदड़

अदालत की यह मंजूरी 2022 में बांके बिहारी मंदिर में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं के मद्देनजर आई है। हालांकि, भवन निर्माण की योजनाएं काफी विवादास्पद रही हैं और दो वर्षों से अधिक समय से स्थानीय लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। सरकार का प्रस्ताव वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना की तर्ज पर मंदिर के चारों ओर एक कॉरिडोर बनाने का है। बता दें कि वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में जगह कम है और गलियां बहुत संकरी हैं, जिसके कारण भीड़ बढ़ने पर भगदड़ के हालात बन जाते हैं। कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। इसको देखते हुए सरकार ने पांच एकड़ में भव्य बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है। यूपी सरकार ने फरवरी में आए बजट में इसके लिए 150 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए हैं।

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कॉरिडोर बनने से श्रद्धालुओं की आवाजाही में मदद मिलेगी

योजना के तहत राज्य सरकार प्रतिष्ठित मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करेगी। लेकिन इस क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 300 मंदिर और आवासीय इमारतें हैं, जहां लोग सैकड़ों वर्षों से रह रहे हैं, जिन्हें अब ध्वस्त करना होगा। सरकार का कहना है कि कॉरिडोर बनने से श्रद्धालुओं की आवाजाही में मदद मिलेगी। साथ ही उम्मीद है कि इलाके के समुचित विकास से अधिक पर्यटक और तीर्थयात्री यहां आएंगे। अदालतों और सरकार के आदेश पर इस क्षेत्र में कई सर्वेक्षण किए गए हैं।

First published on: May 15, 2025 09:59 PM

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