King Martand Singh Love Story: भारतीय राजा और उनकी कहानियां पूरी दुनिया में विख्यात हैं। उनके शौर्य, शानो शौकत, ठाठ-बाठ, कई रानियां और बच्चे, राजसी शौक आदि के चर्चे देशभर की सियासतों में होते थे। ऐसे ही एक राजा के बारे में आज हम आपको बताते हैं, जिनके अजब प्रेम की गजब कहानी की चर्चा अंग्रेज करते थे। यह राजा विदेशी महिला से शादी करने वाला पहला व्यक्ति था।
जी हां, प्रेम कहानी है राजा मार्तण्ड की, जिनकी अपनी विदेशी पत्नी के लिए प्रतिबद्धता, वफादारी अंग्रेजों के आगे झुकने से इनकार करने का प्रतीक बन गई थी। दक्षिण भारतीय राज्य पुदुकोट्टई के राज मार्तंण्ड सिंह ने विदेशी महिला से विवाह करके अपनी राजगद्दी खो दी। देश निकाला मिला और पूरा जीवन विदेश में बिताया। आखिरी पलों में अपने वतन की मिट्टी तक नसीब नहीं हुई, क्योंकि अंग्रेज उनकी शादी के कट्टर विरोधी थे, क्योंकि उन्होंने नियम बनाया था कि भारतीय राजा विदेशी महिलाओं से शादी नहीं कर सकते।
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होटल में मुलाकात, पहली नजर में हुआ प्यार
दक्षिण भारतीय राज्य पुदुकोट्टई के राजा मार्तंण्ड भैरव तोंडईमन साल 1915 में ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर गए थे। वहां उन्हें एक महिला से इश्क हो गया था। राजा मार्तण्ड की मुलाक़ात एक होटल में मौली पिंक नामक खूबसूरत लड़की से हुई थी। उसकी मां भी साथ थी और दोनों से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी। राजा को मौली से पहली नजर में ही प्यार हो गया था। ऑस्ट्रेलियाई लड़की और उसकी माँ से हुई। राजा को पहली नज़र में ही इस लड़की से प्यार हो गया।
राजा मार्तंण्ड दिखने में खूबसूरत और उस समय के कुंवारे राजाओं में से एक थे। वे भारतीय महिला से शादी नहीं करना चाहते थे। हालांकि उन्होंने एक अमेरिकी लड़की से सगाई कर ली थी, लेकिन अंग्रेजों के दबाव में आकर उन्हें सगाई तोड़नी पड़ी। इसके बाद मौली राजा की जिंदगी में आई, जिसके पिता वकील थे। वह बेहद खूबसूरत और लंबी थी। मौली की मां को राजा मार्तण्ड अच्छे लगते थे तो वे उनकी शादी के लिए मानी गईं और पति को भी मना लिया।
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अंग्रेजों ने बनाया तलाक देने का दबाव पर माने नहीं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मौली के परिवार ने राजा का विवाह प्रस्ताव स्वीकार किया और वे परिवार के साथ पुदुकोट्टई आ गईं। यहां उन्होंने राजा के महल में ही धूमधाम से शादी। हालांकि शादी से पहले अंग्रेजों ने मुश्किलें खड़ी कीं। शादी के कार्ड तक छपने नहीं दिए, लेकिन फिर भी राजा ने मौली से शादी की। इसके बाद अंग्रेजों ने दबाव बनाकर उन्हें गद्दी से उतरवा दिया। उन्हें राज्य छोड़ने को मजबूर किया तो वे फ्रांस चले गए। वहां भी उन पर लगातार दबाव बनाया गया, लेकिन वे मौली को तलाक देने को तैयार नहीं हुए।
अंग्रेजों की नीति थी कि कोई भी राजा अंग्रेज महिला से विवाह नहीं करेगा। अगर अंग्रेज महिला पहली रानी बनती है तो उसके बच्चे उत्तराधिकारी बनेंगे। वे खुद को ब्रिटिश लॉर्ड्स के बराबर समझेंगे, लेकिन उत्तराधिकार पर विवाद होते देख वे 1920 में अपने बेटे के साथ फ्रांस चले गए। 1928 में राजा का निधन हुआ। उनकी पत्नी मौली ने अंग्रेजों से राजा का अंतिम संस्कार भारत के पुदुकोट्टई राज्य में ही करने देने का अनुरोध किया, लेकिन अंग्रेजों ने परमिशन नहीं दी और उन्हें पति का अंतिम संस्कार लंदन में करना पड़ा।
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