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‘थकान ने अब जीना मुश्किल कर दिया…’, BLO ने दे दी जान, 3 दिन में 2 टीचर्स की मौत से मचा हड़कंप

स्पेशल समरी रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया के दौरान सिर्फ तीन दिनों में दो शिक्षकों की मौत ने पूरे शिक्षक वर्ग को हिलाकर रख दिया है.

Author Written By: bhupendra.thakur Author Published By : Akarsh Shukla Updated: Nov 21, 2025 18:02

अहमदाबाद: बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर विपक्ष ने देशभर में जोरदार हंगामा किया, लेकिन बावजूद इसके अब देश के 12 अन्य राज्यों में भी SIR अभियान शुरू कर दिया गया है. इस बीच एसआईआर क लिए लोगों के घर-घर जाकर फार्म बांट रहे चुनाव आयोग के बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को लेकर चिंताजनक खबर सामने आ रही है. हाल ही गुजरात से एक और बीएलओ के आत्महत्या करने की खबर ने एसआईआर के लिए काम कर रहे कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा दिया

काम के दबाव के चलते हुई मौत!


स्पेशल समरी रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया के दौरान सिर्फ तीन दिनों में दो शिक्षकों की मौत ने पूरे शिक्षक वर्ग को हिलाकर रख दिया है. एक शिक्षक ने आत्महत्या कर ली, जबकि दूसरे की मौत हार्ट अटैक से हुई. दोनों ही मामलों में परिवार और सहकर्मियों ने काम के दबाव को जिम्मेदार बताया है. देशभर में चल रही मतदाता सूची के पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर अब गुजरात में सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान दो शिक्षकों की मौत के मामले ने पूरे शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है.

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सुसाइड नोट में लिखी ये बात


पहला मामला गीर-सोमनाथ जिले के कोडीनार तालुका के छारा गांव का है. यहां शिक्षक और बूथ लेवल ऑफिसर, यानी BLO, अरविंद मूलजी वाधेर ने आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से SIR की ड्यूटी के दबाव में थे. आत्महत्या से पहले उन्होंने अपनी पत्नी के नाम एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें लिखा कि ‘उपरी दबाव और थकान ने अब जीना मुश्किल कर दिया है.’

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15 दिनों से लगातार कर रहे थे काम


दूसरी घटना खेडा जिले के कपड़वंज तालुका की नवापुरा प्राथमिक शाला से जुड़ी है. यहां स्कूल के आचार्य और BLO, रमेशभाई परमार की ड्यूटी के दौरान हृदयगति रुकने से मौत हो गई. परिवार का कहना है कि वे पिछले 15 दिनों से लगातार 94 किलोमीटर का सफर कर रहे थे, देर रात काम करते थे और तनाव में थे. ड्यूटी के बोझ से थककर वे मंगलवार रात घर लौटे, खाना भी नहीं खाया और नींद में ही दिल का दौरा पड़ा.

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़


रमेशभाई के निधन से उनकी पत्नी और दो बेटियों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार पूरी तरह से उनकी आय पर निर्भर था. गांव जांबुडी में शोक का माहौल है, वहीं शिक्षकों में भी नाराजगी और चिंता दोनों है. टीचर फेडरेशन का कहना है कि लगातार कई दिनों तक चुनावी काम शिक्षकों से करवाना गलत है. यह न सिर्फ शिक्षा कार्य में बाधा डालता है बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है.

क्या कर्मचारियों की सेहत पर नहीं दिया जा रहा ध्यान?


दो शिक्षकों की मौत के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकारी विभाग कर्मचारियों की कार्य-स्थिति और सेहत पर पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं. SIR की प्रक्रिया को लेकर अब सिर्फ पारदर्शिता ही नहीं, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा और कार्य-दबाव एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.

First published on: Nov 21, 2025 05:57 PM

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