Shiromani Akali Dal Blame BJP Punjab News: लोकसभा चुनाव 2024 में मिली शिकस्त के बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) में घमासान मच गया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने SAD के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि बादल को अध्यक्ष पद किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपना चाहिए, जो राजनीति और धर्म के बीच संतुलन बना सके। हालांकि बादल के समर्थकों ने SAD में मची इस कलह का जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ठहराया है। बादल समर्थकों का दावा है कि भाजपा उनके दल को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
अकाली दल को बांटना चाहती है भाजपा
SAD अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे के बीच उनके कुछ वफादार नेताओं ने मिलकर एक प्रस्ताव पारित किया है। इसमें उन्होंने बादल के प्रति पूर्ण विश्वास जताया है। बादल के समर्थकों का आरोप है कि भाजपा SAD को तोड़ने के लिए बड़ी साजिश रच रही है। उन्होंने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसियों की मदद से भाजपा शिरोमणि अकाली दल को बांटना और कमजोर करना चाहती है। बता दें कि पंजाब में SAD के 35 जिलाध्यक्ष और 105 निर्वाचन प्रभारी मौजूद हैं। इनमें से 33 जिलाध्यक्ष और 96 निर्वाचन प्रभारियों ने सुखबीर सिंह बादल का समर्थन करते हुए उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहने की मांग की है।
Takeaways from Shiromani Akali Dal’s Halka Incharges meeting, chaired by party president S Sukhbir Singh Badal, held at party headquarters today:
🔹Cannot allow Shiromani Akali Dal to become a puppet of anti Panth designs, declares S. Sukhbir Singh Badal
---विज्ञापन---🔹Shiromani Akali Dal… pic.twitter.com/y9Gx5zbMSI
— Shiromani Akali Dal (@Akali_Dal_) June 25, 2024
बादल की दो टूक
SAD नेताओं द्वारा बादल के इस्तीफे की मांग की गई। इसे लेकर खुद सुखबीर सिंह बादल ने बैठक बुलाई थी। चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय पर हुई बैठक में बादल ने कहा कि मैं शिरोमणि अकाली दल को विरोधियों के हाथ की कठपुतली नहीं बनने दूंगा। विरोधियों की योजना कभी कामयाब नहीं होगी। जो लोग पंथ, पंजाब, किसानों और वंचितों को धोखा देने की तैयारी कर रहे हैं, वो अपना रास्ता खुद चुन सकते हैं। बादल ने दो टूक शब्दों में कहा कि इस्तीफे की मांग करने वाले नेता अलग रास्ता चुनने के लिए आजाद हैं।
22 साल तक साथ रहे SAD-BJP
बता दें कि 1997 से लेकर 2019 तक शिरोमणि अकाली दल भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा थी। हालांकि 2020 में किसान आंदोलन के चलते पंजाब में बीजेपी का काफी विरोध किया गया। इसी बीच SAD ने भी भाजपा से अलग होने का फैसला कर लिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के फिर से साथ आने की अटकलें लग रही थीं। खबरों की मानें तो पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 5 पर चुनाव लड़ने की मांग की थी। मगर SAD ने बीजेपी को सिर्फ 3 सीटों का प्रस्ताव दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसान और जाट वोट छिटकने के डर से SAD ने अकेले चुनाव लड़ना मुनासिब समझा। इस दौरान SAD को सिर्फ 1 सीट पर ही जीत मिली तो बीजेपी के खाते में कोई भी सीट नहीं गई।
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