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Same Gender Marriage Hearing: केंद्र ने पूछा- गे या फिर लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे?

Same Gender Marriage Hearing: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच गुरुवार को समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिकाओं पर छठे दिन सुनवाई कर रही है। समलैंगिक विवाह के 5वें दिन की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि शादी करने के समान अधिकार देने के सवाल को फैसला करने के लिए […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Apr 28, 2023 12:15
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Same Gender Marriage Hearing: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच गुरुवार को समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिकाओं पर छठे दिन सुनवाई कर रही है। समलैंगिक विवाह के 5वें दिन की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि शादी करने के समान अधिकार देने के सवाल को फैसला करने के लिए संसद पर छोड़ देना चाहिए।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच को बताया कि कोर्ट एक बहुत ही जटिल विषय से निपट रही है जिसका गहरा सामाजिक प्रभाव है। मेहता ने तर्क दिया, “शादी करने के अधिकार में राज्य को शादी की नई परिभाषा बनाने के लिए मजबूर करने का अधिकार शामिल नहीं है। केवल संसद ही ऐसा करने के लिए सक्षम है।

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जहां भी समान-लिंग विवाह को वैध किया गया है, ऐसे देशों का उदाहरण देते हुए तुषार मेहता ने कहा कि ये कानून वहां भी विधायिका द्वारा तय किया गया था, अन्य संबंधित कानूनों को उसी के अनुसार संशोधित किया गया था। मेहता ने अदालत को बताया कि समान-सेक्स विवाहों को वैध बनाने से कई अन्य क़ानूनों पर प्रभाव पड़ेगा, जिसके बाद समाज और राज्य विधानसभाओं में भी बहस की आवश्यकता होगी।

बता दें कि पांच जजों की बेंच में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं।

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सॉलिसिटर जनरल ने पूछा- समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा?

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली 20 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पूछा कि इस तरह की शादी में पत्नी कौन होगा? गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे, जिसे सामान्य शादियों में भरण-पोषण का अधिकार मिलता है।

सॉलिसिटर जनरल के सवाल पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिक शादियों में भरण-पोषण के अधिकार का दावा पति भी कर सकता है, लेकिन विपरीत लिंग वाली शादियों में ये लागू नहीं होगा।

आखिर क्या है पूरा मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट समेत अलग-अलग कोर्ट में समलैंगिक शादियों को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। याचिकाओं में सेम जेंडर के लोगों को आपस में शादी को मान्यता देने के निर्देश देने की मांग की गई है। इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग कोर्ट में दाखिल याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट पिछले पांच दिन से रोजाना सुनवाई कर रहा है।

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इन देशों में समलैंगिक विवाह को मिली है कानूनी मान्यता

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 30 देशों में समलैंगिकों को शादी करने की इजाजत देने वाले राष्ट्रीय कानून बनाए हैं। इन देशों में कोस्टा रिका (2020), उत्तरी आयरलैंड (2019), इक्वाडोर (2019), ताइवान (2019), ऑस्ट्रिया (2019), ऑस्ट्रेलिया (2017), माल्टा (2017), जर्मनी (2017), कोलंबिया (2016), संयुक्त राज्य अमेरिका ( 2015), ग्रीनलैंड (2015), आयरलैंड (2015), फिनलैंड (2015), लक्जमबर्ग (2014), स्कॉटलैंड (2014), इंग्लैंड और वेल्स (2013), ब्राजील (2013), फ्रांस (2013), न्यूजीलैंड (2013) , उरुग्वे (2013), डेनमार्क (2012), अर्जेंटीना (2010), पुर्तगाल (2010), आइसलैंड (2010), स्वीडन (2009), नॉर्वे (2008), दक्षिण अफ्रीका (2006), स्पेन (2005), कनाडा (2005) ), बेल्जियम (2003), नीदरलैंड (2000) शामिल हैं।

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Edited By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Apr 27, 2023 02:36 PM

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