Sabse Bada Sawal, 24 May 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में बात करने वाला हूं संसद की, जनादेश की, अध्यादेश की और संघीय ढांचे की। दरअसल ये चार शब्द हमारे लोकतंत्र को बताने वाले चार स्तंभ हैं। मौजूदा राजनीतिक दौर में उसमें ये शब्द धारा बनकर समाहित हो रहे हैं। यानी इन शब्दों की ओवरलैपिंग हो रही है। 28 मई को जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, उस नए संसद भवन का उद्घाटन होगा। यह लोकतांत्रिक देश के लिए अहम दिन है। लेकिन यहां पर सिर फुटौव्वल की स्थिति है। बवाल चल रहा है।
बवाल किस बात पर? बात ये कि संसद का उद्घाटन पीएम मोदी करने वाले हैं। 19 दल एक साथ आ गए हैं। उन्होंने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर दिया है। वजह, पीएम क्यों उद्घाटन कर रहे हैं। संसदीय प्रणाली के कस्टोडियन राष्ट्रपति होते हैं। जब भी संयुक्त सदन होता है, राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरूआत होती है। कोई भी बिल राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद ही कानून बनता है। ये राष्ट्रपति पद का अपमान है। बीजेपी के खेमे से यह तर्क आ रहा है कि हम संसदीय प्रणाली हैं। जनता ने किसे चुना? पीएम कौन हैं। पीएम नहीं करेंगे तो क्या कोई और करेगा? इसमें 2024 का भी मैसेज है।
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उधर, अरविंद केजरीवाल बनाम नरेंद्र मोदी की लड़ाई लंबे समय से चली आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने संघीय ढांचे का हवाला देते हुए का कि एक चुनी हुई सरकार अपने फैसले नहीं ले सकती है, अपनी नीतियों को लागू करने के लिए अफसरों का ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर पाती है तो ऐसी सरकार को चुनने की प्रक्रिया ही बेमानी हो जाती है। फिर 19 मई को केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई। कहा कि तीन सदस्यों की कमेटी बना रहे हैं। यही ट्रांसफर-पोस्टिंग का फैसला लेंगे। इस तरह सुप्रीम कोर्ट से इतर केंद्र सरकार ने अलग गंगा बहा दी। उधर, अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि ये लोकतंत्र की हत्या है। सुप्रीम कोर्ट ने हमें अधिकार दे दिए, उसे आप ऐसे कैसे छीन सकते हैं। अरविंद केजरीवाल के साथ विपक्ष के कई दल आ रहे हैं। आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि जनादेश Vs अध्यादेश? संसद पर बवाल…संघीय ढांचे पर सवाल? देखिए नए संसद भवन के उद्घाटन और बायकॉट पर बड़ी बहस
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