Sabse Bada Sawal, 23 June 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में मैं बात करने वाला हूं विशुद्ध राजनीति की, महागठबंधन की, राजनीतिक खेमे की। विपक्ष के 15 दिल पटना में एक साथ दिखे। तीन घंटे चर्चा हुई। सभी आमने-सामने थे। यह अहम क्यों है। क्योंकि पिछले 9 साल में ये तस्वीर दिखी नहीं थी। क्या अब महागठबंधन यर्थार्थ बन गया है। पिछले साल सितंबर से जो नीतीश कुमार मुहिम चला रहे थे, क्या उसकी ये पहली बड़ी कड़ी है? इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहुंचे थे। यूपी से अखिलेश यादव भी मौजूद थे।
अरविंद केजरीवाल अपने सहयोगी भगवंत मान के साथ बैठक का हिस्सा बने। ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे भी दिखे। हेमंत सोरेन, एमके स्टालिन, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य सब एक साथ दिखे। ये 9 साल में नहीं हुआ था। अतीत में जाऊं तो 49 साल पहले 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर इसी धरती पर विपक्ष लामबंद हुआ था। ये इमरजेंसी से एक साल पहले की बात है। तब विपक्ष कांग्रेस के खिलाफ लामबंद हुआ था। अब भाजपा के खिलाफ विपक्ष लामबंद हुआ है। ताल तो ठोंकी गई, लेकिन क्या कोई नतीजा भी निकला। सभी ने कहा कि एक साथ चलने और चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है। अगली बैठक 10 या 12 जुलाई को शिमला में होगी। तब बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस करेगी।
बीजेपी इस बैठक पर नजर बनाए हुई थी। अमित शाह ने इसे फोटो सेशन करार दिया। कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ही बनेंगे। जेपी नड्डा ने भी बैठक को लेकर हमला किया। वहीं, आप ने चेतावनी दी है कि यदि कांग्रेस ने केंद्रीय अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया तो वह शिमला की बैठक में शामिल नहीं होगी। तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि विपक्ष का स्वार्थ या महागठबंधन का यथार्थ? विपक्ष ने हाथ मिलाया, दिल भी मिले? देखिए 2024 लोकसभा चुनाव और विपक्षी एकता पर बड़ी बहस