Assembly Election Result 2023 Analysis: आज का दिन चार राज्यों की सत्ता का फैसला करने वाला है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना चल रही है। इनमें से तेलंगाना में असाधारण प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस पूरे बहुमत से सरकार बनाती हुई दिख रही है। इसे लेकर कांग्रेस के खेमे में खासा उत्साह भी है। लेकिन, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जहां अभी तक तो कांग्रेस की सरकार थी मगर अब तक के रुझानों में यहां भाजपा आगे निकलती दिखाई दे रही है। ऐसे में एक राज्य कांग्रेस के खाते में जरूर आया है लेकिन साफ है कि दो बड़े राज्यों पर उसकी पकड़ कमजोर हुई है।
छत्तीसगढ़ में क्यों कमजोर हुई कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में शुरुआती रुझान तो कांग्रेस के ही पक्ष में थे और एग्जिट पोल में भी कांग्रेस की ही सरकार बनने का अनुमान जताया गया था। लेकिन धीरे-धीरे भाजपा आगे बढ़ी और मौजूदा रुझानों के अनुसार राज्य में भगवा दल की सरकार बनने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। खबर लिखे जाने तक के रुझानों की बात करें तो भाजपा 55 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस के पास 32 सीटों पर बढ़त है। इसके अलावा एक-एक सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) आगे चल रही हैं।
भाजपा ने इस बार अपने चुनाव प्रचार के दौरान यहां भ्रष्टाचार का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। इसके साथ ही महादेव एप को लेकर भी भूपेश बघेल की सरकार पर सवाल उठाए थे। बघेल को इस बार सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ा। इसके अलावा माना जा रहा है कि कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह ने भी पार्टी को खासा नुकसान पहुंचाया है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन का कारण यह भी रहा कि वह जनता के साथ उस स्तर पर संपर्क नहीं साध सकी जिसकी जरूरत थी। इसके साथ ही भाजपा की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में जमकर चुनाव प्रचार किया था।
बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस ने 90 में 68 सीटें अपने खाते में की थीं। भाजपा को तब केवल 15 सीटों से संतोष करना पड़ा था। इससे पहले साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 49 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी जबकि कांग्रेस ने 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार के रुझान देखते हुए इस बात की संभावना अधिक लग रही है कि भाजपा एक बार फिर राज्य में अपनी सरकार बनाएगी।
राजस्थान भी हाथ से निकल रहा
राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार इस बार पिछड़ती नजर आ रही है। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में 199 सीटों पर मतदान हुआ था। खबर लिखे जाने तक मतगणना के अब तक के रुझानों के अनुसार भाजपा यहां 114 सीटों पर और कांग्रेस 70 सीटों पर आगे चल रही है। अगर उन कारणों की बात करें जिनके चलते कांग्रेस के हाथ से यह राज्य फिसलता दिख रहा है तो सबसे पहला बिंदु आता है इस प्रदेश की राजनीतिक परंपरा। दरअसल, यहां हर पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज सा रहा है।
लेकिन यह अकेला कारण नहीं है। यहां कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह पार्टी नेताओं में मनमुटाव रहा। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अनबन की चर्चा तो पूरे देश में हुई। इसके अलावा कानून व्यवस्था का मुद्दा भी इस बार के चुनाव में छाया रहा जिसे भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ अपना हथियार बना लिया। इसके साथ ही प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं का पेपर लीक मामले ने भी कांग्रेस सरकार की छवि पर गहरा दाग लगाया। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस के खाते में 100 सीटें आई थीं। वहीं भाजपा को 73 सीटें मिली थीं।
मध्य प्रदेश का कुछ ऐसा रहा हाल
साल 2018 के चुनाव में यूं तो कांग्रेस ने भाजपा को हराकर सरकार बनाई थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन यह सरकार महज 15 महीने ही चल पाई थी। इसका कारण रहा ज्योतिरादित्य सिंधिया का बागी होना। सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे और राज्य में एक बार फिर भाजपा सत्ता में आ गई थी। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे। उस चुनाव में कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटों पर जीत हासिल की थी और बहुमत के जादुई आंकड़े से महज दो सीट पीछे रह गई थी।
इस चुनाव में भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। खास बात यह है कि तब भाजपा की सीटों में 56 सीटें कम हुई थीं और कांग्रेस की इतनी ही सीटें बढ़ी थीं। इस बार के चुनाव में कांग्रेस के पीछे रहने के कई कारण रहे। इनमें जमीनी स्तर पर कमजोरी, भाजपा के खिलाफ मजबूत रणनीति का न होना, अंदरूनी गुटबाजी जैसे बिंदु हैं। इसके अलावा भाजपा की लाडली योजना को भी कांग्रेस की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। इसके तहत शिवराज सिंह चौहान की सरकार हर महिला के खाते में 1250 रुपये भेजती है।