लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया। इसके बाद राज्यसभा में देर रात मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी देने का सांविधिक संकल्प पेश किया गया। पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। उच्च सदन ने तड़के करीब 4 बजे ध्वनिमत से इस संकल्प को पास कर दिया। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में विपक्ष पर निशाना साधा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में टीएमसी पर हमला बोलते हुए कहा कि मैं इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहता। डेरेक ओ ब्रायन ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया। वहां जातीय हिंसा हुई और दोनों समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ थे। पश्चिम बंगाल के संदेशखली में सैकड़ों महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ था, लेकिन आपकी सरकार ने कुछ नहीं किया। आपकी ही पार्टी का एक व्यक्ति इसके पीछे था, जिसे आपको निलंबित करना पड़ा। हम दोनों का समर्थन नहीं करते, लेकिन आपका दोहरा रवैया नहीं हो सकता।
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मणिपुर के दोनों समुदायों की बैठक जल्द होगी : अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के दोनों समुदाय समझेंगे और बातचीत का रास्ता अपनाएंगे। मणिपुर के दोनों समुदायों की अगली बैठक जल्द ही दिल्ली में होने वाली है। उन्होंने कहा कि हमने मणिपुर में सरकार गिराने के लिए राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया, जैसा कि कांग्रेस करती थी। 11 फरवरी को सीएम ने इस्तीफा दे दिया और सभी ने दावा किया कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही थी। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि उस सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं था, क्योंकि कांग्रेस के पास ऐसा प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त सदस्य नहीं थे। इस्तीफे के बाद किसी भी पार्टी ने सरकार का प्रस्ताव नहीं रखा और उस स्थिति में यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा।
#WATCH | Delhi: While speaking on Manipur in the Rajya Sabha, Union Home Minister Amit Shah says, “… I don’t want to politicise this sensitive issue… Derek O’Brien raised the issue of abuse against women in Manipur. There was racial violence, and both communities were against… pic.twitter.com/QCWA7hAs4P
— ANI (@ANI) April 3, 2025
कांग्रेस की सरकार में साल में 225 दिन कर्फ्यू रहता था : शाह
उन्होंने आगे कहा कि इस्तीफे से पहले और आज तक महीनों तक कोई हिंसा नहीं हुई है। यह मिथक नहीं बनाया जाना चाहिए कि राष्ट्रपति शासन इसलिए लगाया गया क्योंकि हम स्थिति को संभालने में असमर्थ थे। 7 साल पहले मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी, तब साल में 225 दिन कर्फ्यू रहता था। एनकाउंटर में 1500 लोग मारे गए थे। नस्लीय हिंसा और नक्सलवाद में अंतर है और दोनों से निपटने के तरीके अलग-अलग हैं। दो समुदायों के बीच हिंसा राज्य के खिलाफ हिंसा से अलग है।
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