यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे लगातार एक के बाद एक कदम उठा रही है। अब रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी एक और बड़ा कदम उठाया है। उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) ने प्रयागराज, झांसी और आगरा डिवीजनों के सभी यात्री डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना की घोषणा की है। इसके मद्देनजर 895 आधुनिक लिंके हॉफमैन बुश (LHB) कोच और 887 इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICP) कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएंगे।
अधिकारियों ने बताया कि प्रयागराज एक्सप्रेस और श्रमशक्ति एक्सप्रेस जैसी चुनिंदा प्रीमियम ट्रेनों में हाई टेक्नोलॉजी वाले AI आधारित कैमरे लगाए जाएंगे। इसके पहले चरण में प्रयागराज-डॉ अंबेडकर नगर एक्सप्रेस, कालिंदी एक्सप्रेस, प्रयागराज-लालगढ़ एक्सप्रेस, सूबेदारगंज-देहरादून एक्सप्रेस, सूबेदारगंज-मेरठ सिटी संगम एक्सप्रेस और सूबेदारगंज-श्री माता वैष्णो देवी कटरा जम्मू मेल सहित तमाम ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
AC कोच में 4 तो SLR डिब्बों में लगेंगे 6 कैमरे
बताया गया कि प्रत्येक एसी कोच फर्स्ट क्लास, सेकेंड क्लास, थर्ड क्लास और चेयर कार में चार कैमरे लगाए जाएंगे, जबकि सामान्य डिब्बों, SLR डिब्बों और पेंट्री कार में छह-छह कैमरे होंगे। ये कैमरे 100 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति और कम रोशनी में भी स्पष्ट फुटेज रिकॉर्ड करने में सक्षम होंगे। ये कैमरे प्रवेश द्वारों और गैलरी में लगाए जाएंगे, जिससे यात्रियों की आवाजाही की पूरी जानकारी मिल सकेगी।
ये कैमरे DRM ऑफिस से होंगे कनेक्ट
ये सीसीटीवी कैमरे एनसीआर मुख्यालय तथा आगरा, झांसी और प्रयागराज स्थित मंडल रेल प्रबंधक DRM ऑफिस से कनेक्ट होंगे, जहां से निगरानी की जाएगी। इसके साथ ही अधिकारी लोकोमोटिव के केबिन में सीसीटीवी कैमरे लगाकर निगरानी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। इसको लेकर एनसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) शशिकांत त्रिपाठी ने कहा कि यह पहल सुरक्षित यात्रा के प्रति रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने के साथ-साथ जांच में भी सहायक होगी।
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वहीं प्रयागराज स्थित उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय में यात्री सुरक्षा निगरानी के लिए अत्याधुनिक रेल ‘वॉर रूम’ की शुरुआत की गई है। महाप्रबंधक उपेन्द्र चन्द्र जोशी ने मुख्यालय में इसका उद्घाटन किया। यह वॉर रूम 24 घंटे काम एक्टिव रहेगा। अगर कोई रेल दुर्घटना होती है या आपात स्थिति आती है तो सीधे घटनास्थल से लाइव फीड लिया जा सकेगा। इससे वरिष्ठ अधिकारी तुरंत राहत और बचाव कार्यों की दिशा तय कर सकेंगे और निगरानी कर सकेंगे।