Supreme Court On Lawyers Summons : सुप्रीम कोर्ट ने न्याय व्यवस्था और वकीलों की स्वतंत्रता से जुड़े एक अहम सवाल पर सबका ध्यान खींचा है। क्या किसी आपराधिक मामले में जांच एजेंसियां पक्ष या विपक्ष की ओर से पेश वकीलों को सीधे समन भेज सकती हैं? इसे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल समेत 5 संस्थाओं से राय मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी मामले से जुड़े वकील को पुलिस या जांच एजेंसियों के द्वारा पूछताछ के लिए बुलाना वकालत की पेशे की स्वायत्तता को कमजोर करेगा। SC ने इस कानूनी सवाल पर पूछा कि क्या कोई जांच एजेंसी किसी पक्ष के एडवोकेट को समन जारी कर सकती है? इसे केस में कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, प्रेसिडेंट SCBA, SCORA से राय मांगी है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
गुजरात में 2024 में दो पक्षों के बीच हुए समझौते से जुड़े मामले में एक पक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उस पक्ष की गिरफ्तारी के बाद उसके तरफ से जिस वकील ने जमानत कराई। बाद में पुलिस ने वकील से पूछताछ के लिए समन जारी किया था।
SC ने स्वत: लिया संज्ञान
इस मामले में हाई कोर्ट ने समन को रद्द करने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में स्वत: संज्ञान लिया है। साथ ही अदालत ने इस कानून पर सवाल करते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का वकालत पेशा एक अभिन्न अंग है। वकालत पेशे के चलते एडवोकेट को कुछ विशेषाधिकार और अधिकार प्राप्त हैं।
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