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PM Modi की जिंदगी में काम आता है गांधी जी का ये मंत्र, Podcast में बताया कैसे लेते हैं बड़े फैसले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मशहूर अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत की और बताया कि बड़े फैसले लेते वक्त वह क्या सोचते हैं? गांधी जी के एक मंत्र से उन्हें बहुत मदद मिलती है।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Mar 16, 2025 21:24

PM Modi Podcast With Lex Fridman : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मशहूर अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ हुई बातचीत की खूब चर्चा हो रही है। इस पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कई गंभीर विषयों पर अपनी बात रखी है। प्रधानमंत्री ने बताया कि वह बचपन में सबसे पहले स्कूल क्यों पहुंचते थे? इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम क्यों शुरू हुआ? हिमालय में मिले एक साधु के बारे में भी उन्होंने जिक्र किया। इसके अलावा, पीएम मोदी ने बताया कि गांधी जी का एक मंत्र उनके लिए किस तरह उपयोगी साबित होता है।

फैसले लेने की प्रक्रिया पर बोले पीएम मोदी?

पॉडकास्ट के दौरान पीएम मोदी से पूछा गया कि आपकी छवि एक निर्णायक नेता की है। आप फैसले कैसे लेते हैं? आपकी निर्णय प्रक्रिया क्या है? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि इसके पीछे कई कारण हैं। शायद हिंदुस्तान में मैं ऐसा पहला राजनेता हूं जिसने देश के 85 से 90 प्रतिशत जिलों में रात्रि विश्राम किया है। मैं पहले भ्रमण करता था। इससे जो मैंने पाया और जो सीखा, उसके कारण मेरे पास जमीनी स्तर की सीधी जानकारी का बहुत बड़ा भंडार है। यह किसी से सुनी-सुनाई, पढ़ी हुई या सिर्फ किताबों से प्राप्त की गई जानकारी नहीं है।

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पीएम मोदी ने कहा कि शासन की दृष्टि से देखें तो मेरे ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं है, न ही किसी बोझ को लेकर मुझे चलना है। निर्णय लेने में मेरा एक तराजू है—मेरे लिए मेरा देश सबसे पहले है। मैं जो भी कर रहा हूं, उससे मेरे देश का नुकसान तो नहीं हो रहा है? दूसरा, हमारे यहां महात्मा गांधी कहते थे कि यदि किसी निर्णय को लेकर उलझन हो तो किसी गरीब का चेहरा याद करो और सोचो कि यह उसके लिए फायदेमंद होगा या नहीं। यही मंत्र मेरे बहुत काम आता है।

सूचनाओं तक पहुंच और सही निर्णय लेने की क्षमता

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि मेरी सरकार में मेरे अफसरों को मेरे प्रति शायद ईर्ष्या भी होती होगी और तकलीफ भी होती होगी। इसका कारण यह है कि मेरे पास सूचना के कई माध्यम हैं, और वे बहुत पुख्ता एवं जीवंत हैं। इसलिए मुझे विभिन्न चीजों की जानकारी मिलती रहती है। मेरे पास केवल वही जानकारी नहीं होती जो कोई मुझे आकर बताता है, बल्कि मेरे पास उसके अन्य पहलू भी होते हैं।

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उन्होंने यह भी कहा कि मेरे अंदर एक विद्यार्थी भाव है। यदि कोई बात समझ नहीं आती, तो मैं विद्यार्थी की तरह सवाल करता हूं—अच्छा, मुझे बताइए यह कैसे है? फिर क्या होगा? आगे क्या होगा? यदि मेरे पास पहले से कोई जानकारी होती है, तो मैं वकील बनकर उल्टे सवाल करता हूं। इससे निर्णय लेने से पहले मैं पूरी प्रक्रिया की गहराई से जांच-पड़ताल करता हूं।

कोरोना काल में लिए गए फैसलों का जिक्र

पीएम मोदी ने कोरोना काल का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने उस समय निर्णय कैसे लिए। उन्होंने कहा, “नोबेल पुरस्कार विजेता मुझसे मिलते थे, अर्थव्यवस्था से जुड़े लोग मुझे सलाह देते थे कि दूसरे देशों ने यह कदम उठाया, आपको भी यही करना चाहिए। बड़े-बड़े अर्थशास्त्री मुझसे कहते थे कि इतने पैसे जनता में बांट दो, इतने अनुदान दे दो। विपक्षी दल भी दबाव डाल रहे थे। लेकिन मैं किसी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहता था।”

उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने भारत की परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिए। उन्होंने तय किया कि गरीब को भूखा नहीं सोने दूंगा।  रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सामाजिक तनाव नहीं होने दूंगा।  देश के खजाने को खाली करने या बिना सोचे-समझे नोट छापने के रास्ते पर नहीं चलूंगा। उन्होंने कहा कि “कोविड के तुरंत बाद दुनिया में जबरदस्त महंगाई आई, लेकिन भारत ने उस झटके को महसूस नहीं किया। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।”

जोखिम लेने की क्षमता पर बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनमें जोखिम लेने की क्षमता बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं सोचता कि मेरा क्या नुकसान होगा। यदि मेरे देश के लिए सही है, मेरे देशवासियों के लिए सही है, तो मैं किसी भी जोखिम को लेने के लिए तैयार हूं। मैं अपनी जिम्मेदारी खुद लेता हूं। यदि कभी कुछ गलत भी हो जाए, तो मैं किसी और पर दोष नहीं डालता, बल्कि खुद खड़ा रहता हूं।”

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Mar 16, 2025 09:24 PM

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