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LR-SAM और S-400 के सामने कैसे पस्त हुई पाकिस्तानी सेना? खुद वायुसेना प्रमुख ने बताया

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हालात युद्ध जैसे हो गए थे. ड्रोन हमलों और सीमा पर संघर्ष के बीच भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर भारी दबाव बनाया. वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के अनुसार, भारत द्वारा खरीदे गए एस-400 और लंबी दूरी के एलआर-एसएएम सिस्टम गेमचेंजर साबित हुए. इनकी मदद से दुश्मन को उसके क्षेत्र में ही घुसकर जवाब दिया गया.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Sep 19, 2025 17:32
Indian Airforce
भारतीय वायुसेना प्रमुख

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान की सेना आमने-सामने आ गई थीं. देश युद्ध के मुहाने पर खड़ा था. एक-दूसरे पर हमले हो रहे थे और ड्रोन से नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही थी. हालांकि इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी और पाकिस्तान की तरफ से भारत से युद्धविराम के लिए कहना पड़ा था. इसके बाद युद्धविराम की घोषणा हुई थी. अब भारत के वायुसेना प्रमुख ने बताया कि आखिर कैसे पाकिस्तान को धूल चटाई गई थी और वह पलटवार भी नहीं कर पा रहा था.

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कार्यक्रम में कहा है कि हमने जो लंबी दूरी की एलआर-एसएएम, एस-400 खरीदी थीं, वे इसमें गेम चेंजर साबित हुईं. उनके लंबी दूरी के रडार और मिसाइल सिस्टम दुश्मन के विमानों को उनके ही क्षेत्र में घुसकर धमका सकते थे. इसलिए हम कुछ ऐसा करने में सक्षम थे कि वे अपने क्षेत्र में भी काम नहीं कर सकते थे.

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भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि हमारे हथियारों की रेंज उनके हथियारों की रेंज से कहीं अधिक थी, इसलिए वे बिना खतरे के आगे बढ़कर उस जगह तक भी नहीं आ पाते थे, जहां से वे हम पर हमला कर सकें. और अगर कोई आगे आ भी जाता था तो उन्हें नुकसान झेलना पड़ता था. ऐसे में हमारे ये हथियार गेमचेंजर साबित हो रहे थे.

उन्होंने कहा कि पिछली बार जब बालाकोट स्ट्राइक हुई थी तो वायुसेना से बार-बार पूछा गया था कि हम अपने लोगों से तो ज्यादा पूछते हैं, लेकिन दूसरों के बारे में कम सोचते हैं, इसलिए बार-बार पूछा गया कि कुछ दिख नहीं रहा है. मुझे लगता है कि सबसे अच्छी चीजों में से एक ये थी कि राजनीतिक इच्छाशक्ति थी. हमारे नेतृत्व ने हमें स्पष्ट निर्देश दिए और कोई प्रतिबंध नहीं लगाए गए। हमें योजना बनाने की पूरी आजादी दी गई और एकजुटता थी. तीनों सेनाएं एक साथ बैठी थीं, एक साथ चर्चा कर रही थीं, एक साथ योजना बना रही थीं, CDS के साथ, अन्य एजेंसियों के साथ, NSA इसमें एक बड़ी भूमिका निभा रहा था.

संघर्ष की चुकानी पड़ती है बहुत बड़ी कीमत

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि आज जो मुख्य युद्ध चल रहे हैं, चाहे वह रूस हो, यूक्रेन हो या इजराइल युद्ध। वे चल रहे हैं, सालों बीत गए हैं, क्योंकि कोई भी संघर्ष समाप्ति के बारे में नहीं सोच रहा है. हमने सुना है कि लोग कह रहे हैं कि नहीं, हमें थोड़ा और करना चाहिए था. हमने युद्ध बहुत जल्दी रोक दिया. हां, वे पीछे हट गए थे, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन हमारे उद्देश्य क्या थे? हमारा उद्देश्य आतंकवाद-विरोधी था. हमें उन पर प्रहार करना ही था, हमने वह किया तो अगर हमारे उद्देश्य पूरे हो गए हैं, तो हम संघर्ष क्यों न समाप्त करें? हम इसे जारी क्यों रखें? क्योंकि किसी भी संघर्ष की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.

यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी संगठनों की नई चाल, KPK में शिफ्ट हुए जैश और हिजबुल के ठिकाने

उन्होंने आगे कहा कि यह अगले संघर्ष के लिए हमारी तैयारियों को प्रभावित करेगा. यह हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा. यह देश की प्रगति को प्रभावित करेगा इसलिए, मुझे लगता है कि दुनिया यही भूल रही है. उन्हें नहीं पता कि युद्ध शुरू करते समय हमारा लक्ष्य क्या था. अब उनका लक्ष्य बदल रहा है. अहंकार बीच में आ रहा है और यहीं पर मुझे लगता है कि दुनिया को भारत से यह सबक सीखना चाहिए कि कैसे किसी संघर्ष को जल्द से जल्द शुरू और समाप्त किया जाए.

First published on: Sep 19, 2025 05:06 PM

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