मणिपुर में बीजेपी के सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। इस बीच बीजेपी और अन्य पार्टियों के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की है। ये सभी विधायक राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहते हैं। इसलिए वे राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे हैं। इन 10 विधायकों में 8 बीजेपी के, 1 एनपीपी का और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
#WATCH | Manipur: 10 MLAs, including 8 BJP, 1 NPP, and 1 Independent MLA met Manipur Governor Ajay Kumar Bhalla at the Raj Bhavan in Imphal, to stake claim to form a government in the state. pic.twitter.com/BMM82tdy50
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) May 28, 2025
सरकार बनाने के लिए 31 विधायक जरूरी
न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से जुड़ी खबर के अनुसार बीजेपी के 8 और एनपीपी का एक विधायक राज्यपाल से मुलाकात करने इंफाल स्थित राजभवन पहुंचे हैं। हालांकि सरकार बनाने को लेकर बीजेपी आलाकमान किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई ऐसे में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन केंद्र सरकार की ओर से लगा दिया गया।
सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंचे विधायकों ने कहा कि उनके पास 22 विधायकों का समर्थन है। मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं। ऐसे में सरकार बनाने के लिए 31 विधायक जरूरी होते हैं। ऐसे में बीजेपी के पास 32 विधायकों का समर्थन है।
ये भी पढ़ेंः क्या है भारत का AMCA प्रोग्राम? कितने देशों के पास है 5वीं जेनरेशन का स्टील्थ फाइटर जेट, जानें खासियत
राज्यपाल से मिलने वाले 10 विधायक :
• भाजपा: युमनाम राधेश्याम सिंह, थोकचोम राधेश्याम सिंह, लौरेंबम रमेश्वर मैतेई, थंगजम अरुणकुमार, केएच रघुमणि सिंह, कोंगखम रोबिंद्रो सिंह, पाओनाम ब्रोजन सिंह
• एनपीपी: शेख नुरुल हसन, जांगहेमलिउं
• निर्दलीय: सापम निशिकांत सिंह
इनमें से 9 विधायक मैतेई-बहुल घाटी क्षेत्र से हैं, जबकि एक विधायक नागा समुदाय से आते हैं।
जल्द लोकप्रिय सरकार का गठन होगा- निर्दलीय विधायक
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार सरकार बनाने को लेकर निर्दलीय विधायक निशिकांत सिंह ने कहा कि हमने राज्यपाल को एक पेपर दिया है। जिस पर 22 विधायकों के साइन हैं। हम सरकार बनाने के लिए जनता का समर्थन भी चाहते हैं। उम्मीद है कि जल्द ही लोकप्रिय सरकार का गठन होगा। बता दें कि मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। 9 फरवरी को सीएम एन बिरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था। बीरेन सिंह राज्य में डेढ़ साल तक चली हिंसा को रोक पाने में नाकाम रहे थे। ऐसे में उन पर इस्तीफे का काफी दबाव था।
ये भी पढ़ेंः पीएम मोदी का 48 घंटे में चार राज्यों का मिशन, विकास, जनसंवाद और बिहार में चुनावी रणनीति